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Krishna Janmashtami Essay in Hindi: कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध हिन्दी मे..!
“माखन चुराकर जिसने खाया, बंसी बजाकर जिसने नजाया। खुशी मनाओं उसके जन्मदिन की जिसने दुनिया को प्रेम का रास्ता दिखाया।। ’’
Krishna Janmashtami, भारतवर्ष का एक प्रमुख पौराणिक व प्राचीन पवित्र त्यौहार है जिसका भारतीय संस्कृति में, अपना एक महत्व और सतत प्रासंगिकता है क्योंकि ये त्यौहार हम, भारतीयों की जीवनशैली का एक प्रमुख अंग है जिसकी जानकारी हम, सभी को होनी ही चाहिए और इसी उद्धेश्य प्रेरित होकर हम, इस आर्टिकल में, आप सभी को Essay on Janmashtami के साथ ही साथ कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध प्रस्तुत करने की कोशिश करेंगे।
Essay on Janmashtami in Hindi को समर्पित अपने इस आर्टिकल में हम आप सभी को बता दें कि, भारत वर्ष में, हर्षो उल्लास से मनाया जाने वाले जन्माष्टमी के पावन त्यौहार को देवता श्री. कृष्ण के जन्मोत्सव के तौर पर पूरे भारतवर्ष में, बेहद हर्षो – उल्लास व खुशियों के साथ पूरे परिवार के साथ मिलकर मनाया जाता है जिसकी जानकारी आमतौर पर janmashtami essay for class 1 to 8 in hindi में, हमारे बच्चो को भी प्रदान की जाती है।
जैसा कि, हमारे सभी पाठक भली-भांति जानते है कि, भारतवर्ष में, हर्षो-उल्लास के साथ मनाये जाने वाले इस पावन, पवित्र व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक कहे जाने वाले जन्माष्टमी के त्यौहार को आमतौर पर बच्चो का त्यौहार भी कहा जाता है क्योंकि जन्माष्टमी का हमारे बच्चो व बच्चो की खुशियों के लिए अपना एक विशेष महत्व होता है।
“रंग बदलती दुनिया देखी, देखा जग व्यवहार। दिल टूटा तब मन को भाया ठाकुर तेरा दरबार।।’’
क्योंकि इस दिन उन्हें विभिन्न प्रकार के फलाहार, दूध, दही, पंचामृत, धनिये व मेवे की पंजीरी, तुलसीदल, मिश्री, स्वादिष्ठ पकवान के साथ ही साथ मन वांछित मिठाई खाने को मिलती है और हर माता-पिता अपने बच्चे के भीतर श्री कृष्ण के छवि को देख प्रफुल्लित और प्रोत्साहित होते है।
अन्त, हमारा ये आर्टिकल पूरी तरह से Essay on Janmashtami in Hindi, Essay on Krishna in hindi के साथ ही साथ Krishna Janmashtami Essay in Hindi पर आधारित होगा जिसमें हम, अपने सभी पाठको को विस्तार से जन्माष्टमी व इससे संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी आपको प्रदान करेंगे जिसके लिए आपको हमारा ये आर्टिकल अन्त तक पढ़ना होगा।
Krishna Janmashtami Essay in Hindi को समर्पित हमारे इस आर्टिकल के प्रमुख बिंदुओं पर एक नज़र:
- जन्माष्टमी का त्यौहार क्या होता है?
- जन्माष्टमी कब मनाई जाती है?
- जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?
- कृष्ण जन्माष्टमी का क्या महत्व है?
- जन्माष्टमी पर्व कैसे मनाया जाता है?
उपरोक्त सभी बिंदुओं की जानकारी हम, अपने इस आर्टिकल में, आप सभी को विस्तार से प्रदान करेंगे।
जन्माष्टमी का त्यौहार क्या होता है?
“माखन का कटोरा, मिश्री की थाल, मिट्टी की खुशबू, बारिश की फुहार, राधा की उम्मीद, कन्हैया का प्यार मुबारक हो आपको जन्माष्टमी का त्यौहार ’’
वैसे तो हम, सभी भारतीयों को भली – भांति पता है कि, जन्माष्टमी का त्यौहार क्या होता है लेकिन फिर भी हम, अपने सभी पाठको को संक्षिप्त रुप में, बताना चाहते है कि, जन्माष्टमी का त्यौहार क्या होता है?
देवताओं में, सबसे नटखट, माखन चोर, बंसी – बजाईया और गोपियों के नायक कहें जान वाले हमारे श्री. कृष्ण के जन्मोत्सव को हर्षो – उल्लास से जन्माष्टमी त्यौहार के रुप में, मनाया जाता है जिसे हम, सभी भारतवासी अपने पूरे परिवार के साथ मिलकर मनाते है और यदि परिवार में, कोई बच्चा होता है तो उसे साक्षात श्री. कृष्ण का प्रतिरुप ही बना देते है जो कि, जन्माष्टमी के त्यौहार के प्रति हमारे रोमांच और उत्साह को दर्शाता है।
जन्माष्टमी एक ऐसा त्यौहार है जिसे हर आयु-वर्ग के लोग विशेष उत्साह और रोमांच के साथ मनाते है और जन्माष्टमी के आने का लम्बे समय से इंतजार करते है और धीरे-धीरे इसकी तैयारीयां करते रहते है जैसे कि घर की साफ सफाई करना, बाज़ार से खरीददारी करना, घर की सजावट करना और भी कई प्रकार के कार्य करते है जिसका अपना एक सुखद अहसास होता है और इस सुखद अहसास के साथ ही साथ जन्माष्टमी त्यौहार की पूरी जानकारी हम, Essay on Janmashtami Hindi को समर्पित अपने आर्टिकल में, प्रदान करेंगे।
जन्माष्टमी कब मनाई जाती है?
“जो है माखन चोर, जो है मुरली वाला । वही है हम सबसे दुख दूर करने वाला ।। ’’
हमारे सभी पाठक भली-भांति जानते है कि, जन्माष्टमी कब मनाई जाती है लेकिन हम, अपने नई पीढ़ी के युवाओं को व अनजान पाठको को विशेष तौर पर भारतीय संस्कृति की झलक दिखाते हुए उन्हें प्राथमिकता के साथ बताना चाहते है कि, जन्माष्टमी कब मनाई जाती है?
हमारे माखन चोर अर्थात् श्री. कृष्ण के जन्मदिन अर्थात् जन्माष्टमी को पूरे भारतवर्ष में, हर साल रक्षा बंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में, बड़े ही हर्षो उल्लास व उत्साह के साथ मनाया जाता है।
आइए अब हम, आप सभी को बताते है कि, जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?
जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?
“कर भरोसा राधे नाम का, धोखा कभी ना खायेगा । हर मौके पर कृष्ण तेरे घर सबसे पहले आयेगा ।। ’’
जीवन की शुरुआत संघर्ष से ही होती है और इसके साक्षात प्रमाण व उदाहरण है श्री. कृष्ण जी का जन्म क्योंकि उनका जन्म अति संघर्षमय परिस्थितियों में, हुआ था जिसकी आमतौर पर कल्पना भी नहीं की जा सकती है लेकिन बुराई कितनी ही ताकतवर क्यूं ना हो सच्छाई उसे हरा ही देती है।
इसी पृष्ठभूमि में, यादवों के प्रान्त में, अत्याचारी ढंग से शासन करने वाले मथुरा के राजा कंस हुआ करते थे जिसके अत्याचारों की कोई सीमा या थाह नहीं थी जिसकी भारी कीमत सभी मथुरावासियों को अपनी जान – माल से चुकानी पड़ती थी।
हम, आप सभी को बता दें कि, अत्याचारी व क्रूर मथुरा राजा कंस की एक बहन थी जिसका नाम था देवकी और उनके पति का नाम था वासुदेव और इन्हीं की संतान को लेकर कंस को उसकी मृत्यु संबंधी भविष्यवाणी हुई थी जिसके अनुसार अत्याचारी व क्रूर राजा कंस की मृत्यु देवकी व वासुदेव की आठवीं सन्तान करेगी।
इसी भविष्यवाणी के साथ राजा कंस का निर्दयी, क्रूर, स्वार्थी और अत्याचारी चेहरा सामने आने लगा जिसकी वजह से उसने अपनी ही बहन देवकी व वासुदेव की पहली 6 संतानो को बड़ी बेरहमी, निर्दयता व क्रूरता के साथ मौत के घाट उतार दिया लेकिन उनकी 7वीं संतान को गुप्त रुप से सुरक्षित करके रोहिणी को सौंप दिया गया जिससे उसकी जान बच गई और वहीं दूसरी तरफ राजा कंस, खुद को अजर अमर मानने की भूल कर बैठा और यही उसकी मृत्यु का कारण बनी।
अन्त में, देवताओँ की इच्छा व योजना स्वरुप देवकी व वासुदेव को आठवीं संतान के रुप में, श्री. कृष्ण की प्राप्ति आधी रात को जेल के चार- दीवारी में, हुई और देवताओं की योजना व इच्छा स्वरुप वासुदेव ने, अपनी इस संतान को सुरक्षित तरीके से ईश्वर को समर्पित करते हुए नदी में, प्रवाहित कर दिया और ये देवताओं की योजना थी कि, गोकुल की एक दम्पति को श्री. कृष्ण नदी के किनारे मिले व इन्हीं दम्पति के यहां पर हमारे नटखट कृष्ण का बड़े लाड़-प्यार से पालन-पोषण शुरु हुआ जिसके चर्चे तो आपने सुनें ही होंगे।
अन्त, हमने आपको बताया कि, श्री. कृष्ण का जन्म किन संकटमय परिस्थितियों में, बुराई पर अच्छाई की जीत सुनिश्चित करने के लिए हुई और इसी वजह से श्री. कृष्ण के जन्मोत्सव को ही जन्माष्टमी के त्यौहार के रुप में, मनाया जाता है जो कि, बुराई पर अच्छाई की जीत का साक्षात प्रमाण है।
आइए अब हम, अपने सभी पाठको को विस्तार से बताते है कि, कृष्ण जन्माष्टमी का क्या महत्व है?
कृष्ण जन्माष्टमी का क्या महत्व है?
“जानते है कृष्ण, क्युं तुम पर हमें, गुरुर है। क्योंकि तुम्हारे होने से हमारी जिन्दगी में, नूर है।। ’’
यहां पर हम, अपने सभी पाठको व युवाओं को कुछ बिंदुओँ की मदद से बतायेंगे कि, कृष्ण जन्माष्टमी का क्या महत्व है?
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बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है जन्माष्टमी
जन्माष्टमी के पावन व पवित्र त्यौहार का सबसे बड़ा व जन हितैषी महत्व ये है कि, जन्माष्टमी के त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की विजय प्रतीक के रुप में, जामा व मनाया जाता है क्योंकि देवकी व वासुदेव की इसी 8वीं संतान अर्थात् श्री. कृष्ण द्धारा मथुरा के क्रूर, निर्दय और अत्याचारी राजा कंस का वध हुआ था।
इसी वध के साथ मथुरा व पूरे भारतवर्ष में, बुराई पर अच्छाई की विजय पताका फहराई गई थी और यही इस त्यौहार के पवित्र महत्व को उजागर करता है।
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जन्माष्टमी पर कृष्ण रुपी पुत्र की प्राप्ति हेतु महिलायें रखती है व्रत
जन्माष्टमी के पावन व पवित्र त्यौहार का दूसरा सबसे बड़ा महत्व ये है कि, जिस प्रकार यशोदा ने, पुत्र के रुप में, प्राप्त हुए श्री. कृष्ण को बड़े लाड़ – प्यार से पाला और उसकी शैतानियों का आनन्द प्राप्त किया इसी प्रकार हर भारतीय माता – पिता, विशेषकर मातायें चाहती है कि, उन्हें भी कृष्ण रुपी पुत्र की प्राप्ति हो इसके लिए वे व्रत रखती है जिससे उन्हें भी कृष्ण रुप पुत्र की प्राप्ति होती है।
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कुमारी युवतियां भी देवता स्वरुप पति और कृष्ण रुप पुत्र की प्राप्ति हेतु व्रत रखती है
यहां पर हम, अपने सभी पाठको व विशेषकर कुमारी या अविवाहित युवतियों को बताना चाहते है कि, जन्माष्टमी के पावन त्यौहार का सबसे बड़ा महत्व ये भी है कि, इस दिन हमारी कुमारी व अविवाहित युवतियों देवता स्वरुप अच्छे वर अर्थात् पति और कृष्ण रुप पुत्र की प्राप्ति के लिए पूरी भक्ति व श्रद्धा के साथ व्रत रखती है।
यहां पर हम, आपको बता दें कि, कुछ युवतियां अपने व्रत को कृष्ण के जन्म के समय व कुछ जम्न के बाद अपने व्रत को तोड़ती है जिसके बाद वे प्रसन्नता और भक्ति से ओत – प्रोत होकर कृष्ण को समर्पित भक्ति गीत, पारम्परिक गीत व प्रार्थनायें गाती है आदि।
उपरोक्त सभी बिंदुओँ की मदद से हमने अपने सभी पाठको को विस्तार से जन्माष्टमी के महत्व के बारे में, बताया। आइए अब हम, आपको विस्तार से बतायें कि, जन्माष्टमी पर्व कैसे मनाया जाता है?
जन्माष्टमी पर्व कैसे मनाया जाता है?
“हे मन तू अब कोई तप कर लें। एक पल में सौ-सौ बार कृष्ण नाम का जप कर लें ।। ’’
जैसा कि, आप सभी जानते है कि, जन्माष्टमी का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में, बड़े ही हर्षो उल्लास व रोमांचक उत्साह के साथ मनाया जाता है और इसी वजह से भारत के अलग-अलग हिस्सो में, जन्माष्टमी का पर्व अलग अलग प्रकार से मनाया जाता है जिसकी पूरी जानकारी हम, कुछ बिदुंओं की मदद से प्रदान करेंगे जो कि, इस प्रकार से हैं:-
जन्माष्टमी का पर्व, भगवान श्री. कृष्ण के जन्मोत्सव के रुप में, बड़े ही उत्साह व हर्षो उल्लास के साथ पूरे भारतवर्ष में, मनाया जाता है जिसे दर्शाने के लिए हम, कुछ बिंदुओं की मदद लेंगे जो कि, इस प्रकार से हैं:-
- जन्माष्टमी के दिन हिंदू धर्म के लोग बड़े ही श्रद्धा – भाव से प्रभु श्री. कृष्ण की आराधना करते है,
- श्रद्धा भाव से सभी नियमों का पालन करते हुए व्रत रखते है,
- देवता कृष्ण के मंदिरो में प्राथमिकता के साथ पूजा, पाठ व कीर्तन करते है,
- रात के 12 बजे जब सभी मंदिरो में, श्री. कृष्ण का जन्म होता है उस समय मंदिर के साथ-साथ पूरा भारतवर्ष भक्तिमय हो जाता है और हवाओं में, कृष्ण की किलकारीयां गूंजने लगती है,
- इस मौके पर घर की स्त्रियां स्वादिष्ट पकवान बनाती है और सबसे पहला भोग श्री. कृष्ण को चढ़ाती है जिसके बाद प्रसाद को घर के अन्य सदस्यों में, बांटती है और इसके बाद प्रसाद ग्रहण करके अपने व्रत को सम्पन्न करती है,
- वहीं हम, आपको बता दें कि, देश के अलग – अलग स्थानों पर जन्माष्टमी के पावन मौके पर भव्य मेलों, झाकियों, पालकियों का आयोजन किया जाता है जो कि, कई दिनो तक चलता है,
- जन्माष्टमी के मौके पर देश के बच्चो व युवाओं को श्री. कृष्ण के जीवन के सभी पहलूओं की जानकारी प्रदान करने व दर्शाने के लिए आकर्षक झाकियों, पालकियों, मूर्तियों, फिल्मों, गीतों और कथाओं का आयोजन किया जाता है जिससे पूरा वातावरण कृष्ण की भक्ति में, भक्तिमय हो जाता है आदि।
उपरोक्त बिंदुओं की मदद से हमने आपको बताया कि, जन्माष्टमी का पर्व कैसे मनाया जाता है।आइए अब हम, आपको बतायें कि, देश के अलग-अलग हिस्सो व क्षेत्रो में, जन्माष्टमी का पर्व कैसे मनाया जाता है?
देश के अलग-अलग हिस्सो में, कैसे मनाया जाता है जन्माष्टमी का पर्व?
1. मथुरा में, कैसे मनाया जाता है जन्माष्टमी का पर्व?
प्रभु श्री. कृष्ण का जन्म स्थान कही जाने वाली मथुरा में, उनके जन्मोत्सव अर्थात् जन्माष्टमी को बड़ी ही दिव्यता व भव्यता के साथ मनाया जाता है और इसी समय मथुरा के अनेको हिस्सो में, अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है वहीं दूसरी तरफ पूरे मथुरा में, झूल्लनोत्सव का आयोजन किया जाता है व पूरे महिने जन्माष्टमी का उल्लास मनाया जाता है।
2. द्धारकाधीश में, कैसे मनाया जाता है जन्माष्टमी का पर्व?
जन्माष्टमी की सबसे बड़ी भव्यता व दिव्यता द्धारकाधीश में, देखी जा सकती है जहां पर जन्माष्टमी के मौके पर प्रभु श्री. कृष्ण को दूध व दही का आऩुष्ठानिक स्नान करवाया जाता है।
3. वृन्दावन में, कैसे मनाया जाता है जन्माष्टमी का पर्व?
आपको जानकर हैरानी होगी कि, वृन्दावन में, जन्माष्टमी का पर्व महाभारत की प्रथानुसार श्री. कृष्ण के शुरुआती जीवन को यमुना नदी के तट पर रासलीला के द्धारा दर्शाया व प्रस्तुत किया जाता है, जन्माष्टमी के 7 से लेकर 10 दिन पहले ही पूरे वृंदावन में, जन्माष्टमी की धूम मच जाती है आदि।
उपरोक्त बिंदुओँ की मदद से हमने आपको बताया कि, जन्माष्टमी का पर्व देश के अलग-अलग हिस्सो में, कैसे मनाया जाता है।
उपसंहार:-
जन्माष्टमी का त्यौहार केवल एक त्यौहार नहीं है बल्कि बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है जिससे पूरा भारतवर्ष और भारतवर्ष की संस्कृति गौरवान्वित होती है और होती रहेगी। आप भी इस संस्कृति के महत्व को समझ सकें इसी उद्धेश्य से हमने Krishna Janmashtami Essay in Hindi को समर्पित आर्टिकल में, विस्तार से Essay on Janmashtami in Hindi, Essay on Krishna in Hindi की जानकारी प्रदान की ताकि आधुनिकीकरण कि, चकाचौंध में, भ्रमित हुई हमारी नई युवा पीढ़ी, जन्माष्टमी के त्यौहार के महत्व को समझ सकें और इसके शिक्षाओं को आत्मसात कर एक सुखी व सम्पन्न जीवन जी सकें।
अन्त, हमें अपने इस आर्टिकल में, आपको कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध, Krishna Janmashtami Essay Hindi Me की पूरी जानकारी प्रदान की और आशा करते है कि, आपको हमारा ये प्रयास अच्छा लगा होगा व आर्टिकल में, दी गई जानकारी आपके लिए मूल्यवान सिद्ध हुई होगी जिसके लिए ना केवल आप हमारे इस आर्टिकल को लाइक करेंगे बल्कि शेयर करने के साथ ही साथ अपने विचार व सुझाव भी हमें, कमेंट करके बतायें ताकि हम, इसी तरह के आर्टिकल आपके लिए लाते रहें।
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