Essay
Raksha Bandhan Essay in Hindi: रक्षा बंधन के त्यौहार पर निबंध हिन्दी मे..!

रक्षा बंधन अर्थात् एक ऐसा बंधन जो कि, दिखने में, तो मामूली धागो से बना होता है लेकिन इसकी मजबूती अटूट और अखंड होती है क्योंकि इसमें बहन का अपनापन, प्यार, विश्वास, सुरक्षा का वचन और अपने भाई के प्रति समर्पण का करिश्माई मिश्रण होता है जिसकी लाज हर भाई, हर कीमत पर निभाता है भले ही उसके प्राण ही क्यूं ना चले जायें लेकिन वो राखी की लाज रख ही लेता है।
“साथ पले और साथ बड़े हुए, खूब मिला बचपन में प्यार। भाई बहन का प्याप बढ़ाने आया राखी का त्यौहार।।’’
नटखट-सा, मीठा -सा, गुदगुदाता, कभी हंसाता और कभी रुलाता ये त्यौहार, रक्षा बंधन का त्यौहार कहलाता है जो कि, ना केवल एक भाई को अपनी बहन की खुशियों के प्रति आजीवन समर्पित करता है बल्कि एक बहन को अपने भाई के प्रति न्यौछावर कर देने की भावना से ओत-प्रोत करता है और यही रक्षा बंधन के त्यौहार की सबसे बड़ी विशेषता है।
हमारा भारत त्यौहारों का भारत है जहां पर हर अवसर, दिवस और संबंध के लिए कोई ना कोई पवित्र रिश्ता मौजूद है और इसी प्रकार, रक्षा बंधन भी भारतवर्ष का एक बेहद उल्लासमयी प्राचीन त्यौहार है जिसकी अपनी चमक, धमक, रौनक और खिलखिलाहट है और इसीलिए हम, अपने इस आर्टिकल में, Raksha Bandhan Essay in Hindi के साथ ही साथ रक्षाबंधन पर निबंध प्रस्तुत करेंगे।
भाई बहन का प्यार, प्यार की तमाम कसौटियों से बढ़कर होता है जिसे मापने वाला मापदंड शायद आज तक बना ही नहीं है और ना ही आने वाले भविष्य में, बन सकता है क्योंकि भाई बहन का प्यार अनमोल है जिसे केवल महसूस किया जा सकता है और इसीलिए हम, इस आर्टिकल में, विस्तारपूर्वक Essay on Raksha Bandhan in Hindi को आपके सामने उजागर करने का प्रयास करेंगे।
अन्त हम, इस लेख में, अपने हर भाई बहन को विस्तार से रक्षा बंधन पर निबंध Essay on RakshaBandhan और Rakhi Par Nibandh को प्रस्तुत करने का भरपूर प्रयास करेंगे जिसके लिए आपको हमारे इस आर्टिकल को अन्त तक पढ़ना होगा।
प्रस्तावना:
Raksha Bandhan – एक झलक
एक भाई अपनी बहन के बिना और एक बहन अपने भाई के बिना अधूरी होती है जिसे कहने की जरुरत नहीं पड़ती है क्योंकि बहन ना होने का दर्द या फिर भाई ना होने का दर्द वही जान सकता है जिसकी बहन या भाई ना हो लेकिन हम, जानते है कि, आपकी भाई एक शैतान लेकिन जान से भी प्यारी बहन है और बहन के लिए घमंडी, अकडू और जिद्दी भाई है और आप दोनो के लिए ही तो रक्षा बंधन का त्यौहार है।
रक्षा बंधन का त्यौहार मूलत भारतवर्ष का त्यौहार है लेकिन इसे मनाया पूरे विश्व में, हर्षो उल्लास के साथ जाता है जो कि, भाई-बहन के बीच स्नेह, त्याग, समर्पण, अपनापन और अग्नि से भी पवित्र रिश्ता होता है। रक्षा बंधन वो बंधन होता है जिसमें प्यार व त्याग के अलग – अलग भावनाओं का संगम देखने को मिलता है जैसे कि – सामाजिक भावना, पौराणिक भावना, धार्मिक व ऐतिहासिक भावना।
भारत के अलावा रक्षा बंधन का त्यौहार वैसे तो पूरे भारतवर्ष के साथ ही साथ पूरे विश्व में, मनाया जाता है लेकिन साथ ही साथ भारत के नज़दीकी पड़ोसी नेपाल और मॉरिश्स में, भी रक्षा बंधन का त्यौहार बेहद जोर – शोरो व धूम – धाम से मनाया जाता है क्योंकि राखी का त्यौहार जहां एक तरफ एक घमंडी भाई को अपनी बहन के आगे झुका देता है वहीं एक बहन को भाई से मनमानी करने का मौका प्रदान करता है और अन्त में, इसे ही हम, रक्षा बंधन कहते है।
रक्षा बंधन का त्यौहार कब मनाया जाता है?
Essay on Raksha Bandhan in Hindi को समर्पित अपने इस आर्टिकल में, हम, अपने सभी भाइयों व बहनों को बताना चाहते है कि, रक्षा बंधन का त्यौहार ना केवल हिंदू त्यौहार है बल्कि जैन त्यौहार भी है जिसका आयोजन हर साल श्रावण मास अर्थात् जुलाई-अगस्त की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
यहां पर हम, आपको ये भी बताना चाहेंगे कि, चूंकि रक्षा बंधन का त्यौहार श्रावण मास में, मनाया जाता है इसी वजह से आमतौर पर रक्षा बंधन के त्यौहार को श्रावनी, सावनी और सलूनो भी कहा जाता है जो कि, इसकी व्यापकता और त्यौहार के प्रति लोगो के उत्साह को दर्शाता है।
रक्षाबंधन का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
“तोड़े से भी ना टूटे, ये ऐसा मन बंधन है। इस बंधन को सारी दुनिया कहती रक्षा बंधन है।। ’’
वैसे तो आप सभी जानते ही होंगे कि, रक्षा बंधन का त्यौहार कैसे मनाया जाता है लेकिन फिर हम, रक्षाबंधन पर निबंध के नियम को पूरा करने के लिए बता दें कि, रक्षा बंधन श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जिसके सुबह सुबह हर बहन अपने भाई के लिए बड़े हर्षो उल्लास से राखी की थाली तैयार करती है।
इसके बाद जब भाई तैयार होकर आता है तो उसके तेजस्वी माथे पर गौरवमयी तिलक लगाकर बहन, भाई की दाहिनी कालाई पर चन्दन की महक से सुंगधित रेशम के धागो से बनी राखी को बड़े प्यार, समर्पण और अपनेपन की भावना से बांधती है और कई बार बहन अपनी इन भावनाओं को रोक नहीं पाती है जिसकी वजह से उसकी आंखो में, पानी आ जाता है जिसे केवल एक भाई ही समझ सकता है और रोक सकता है।
राखी बांधन के बाद बहन, अपने भाई का मुंह किसी भी मिठाई से मीठा करती है और शरारती अंदाज में, नखरे दिखाते हुए अपने भाई से मनमानी करते हुए कुछ भी मांगती है जिसे भाई को हर हाल में, देना ही होता है और साथ ही साथ हर भाई को इस अवसर पर अपनी बहन की व उसकी खुशियों की रक्षा करने की जिम्मेदारी ग्रहण करनी होती है जिसे हर भाई सहर्ष स्वीकार करता है।
यहां पर हम, आप सभी ये भी बताना चाहते है कि, रक्षा बंधन का त्यौहार वास्तव में, एक बेहद व्यापक अवधारणा है जिसे केवल भाई-बहन तक सीमित नहीं किया जा सकता है क्योंकि इस रिश्ते में, वो अपनापन, त्याग और समर्पण है जो इसके दायरों को क्षितिज तक बढ़ा देती और इसी का प्रमाण है कि लाज, सम्मान, प्रतिष्ठा, हित और पर्यावरण की रक्षा के लिए राखी बांधी जाती है।
रक्षाबंधन का निष्कर्ष क्या है?
“त्यौहारों का त्यौहार, राखी का त्यौहार। जिसमें झलकता है भाई-बहन का प्यार।।’’
जैसा कि, आप सभी जानते है कि, भाई-बहन का रिश्ता दुनिया में, सभी रिश्तो से बढ़कर होता है जिसके अपने मायने, कायदें कानून और प्राथमिकतायें होती है। कुल मिलाकर हम, सरल शब्दो में, यह कह सकते है कि, रक्षा बंधन का त्यौहार हर भाई बहन के मीठे, गुदगुदाते और चटकीले रिश्ते का पवित्र प्रतीक माना जाता है।
एक भाई के द्धारा, मेरी बहन कहना और एक बहन के द्धारा, मेरा भाई कहना कोई सामान्य वाक्य नहीं होता है बल्कि ये वाक्य अपने भीतर असीम प्यार, समर्पण, त्याग और अपनेपन की भावना से ओत – प्रोत सुमिश्रण धारण करता है जिसे केवल एक भाई और बहन ही महसूस कर सकती है।
“रंग बिरंगी राखी बांधी, फिर सिंदूर सा तिलक लगाया। गोल गोल रसगुल्ला खाकर, भईया मन ही मन मस्कुराया।।’’
एक भाई की सबसे बड़ी दोस्त व हितैषी उसकी बहन ही हो सकती है और एक बहन का सबसे बड़ा दोस्त उसका भाई ही हो सकता है जिसका प्रमाण ये होता है कि, जब दोनो में, लड़ाई व झगड़ा होता है तो दोनो पूरे घर को सिर पर उठा लेते है जिसकी वजह से हालात युद्ध जैसे हो जाते है लेकिन जैसे कि, भाई या बहन में से किसी पर कोई मुसीबत आ पड़ती है दोनो के भीतर एक दूसरे के लिए छिपा हुआ प्यार, समर्पण व अपनापन रोके नहीं रुकता है और भावनाओं की अभिव्यक्ति स्वरुप आंसूओं के द्धारा बाहर आ जाता है।
“दुनियां की हर खुशी तुझे दिलाऊंगा मै, अपने भाई होने का हर फर्ज निभाऊंगा मैं।’’
लेकिन इन आंसूओँ का भी अपना एक सुख होता है जिसे केवल एक भाई और एक बहन ही महसूस व प्राप्त कर सकते है और यही इनके पवित्र रिश्ते की कसौटी को अतुलनीय बना देता है जिसकी वजह से एक भाई हर हालत में, अपनी बहन की हर इच्छा पूरी करना चाहते है ताकि उसे खुशी प्राप्त हो वहीं दूसरी तरफ हर बहन अपने बड़े या छोटे भाई का समय समय पर मार्ग दर्शन करती है और उन्हें अपनेपन का सहारा देती है जो दुनिया में, और कोई नहीं दे सकता है।
रक्षा बंधन का पवित्र महत्व क्या होता है?
“प्यार में यही भी जरुरी है, बहनो की लड़ाई के बिना जिन्दगी अधूरी है।’’
यदि हम, थोड़ी संवेदनशीलता से सोचे तो रक्षा बंधन के पवित्र त्यौहार के आगे अन्य त्यौहारे महत्व कहीं ना कहीं महत्वहीन नजर आते है क्योंकि इस रिश्ते की कोई थाह नहीं होते है अर्थात् कोई सीमा नहीं होती है जहां तक इस रिश्ते को निभाया जाये बल्कि रक्षा बंधन का त्यौहार अनन्त होता है जिसे हर भाई और बहन अपनी आखिरी सांस तक निभाती है और यही इस पवित्र रिश्ते का गौरवमयी महत्व होता है।
हम, आप सभी को बताना चाहेंगे कि, जैन धर्म में, भी रक्षा बंधन को बेहद हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है जो कि, जैन धर्म में, रक्षा बंधन के महत्व को दर्शाता है।
साथ ही साथ हम, आपको रक्षा बंधन के महत्व को दर्शाता एक दूसरा पहलू भी बताना चाहते है और वो ये है कि, जरुरी नहीं है कि, हर बहन अपनी सगे भाई को राखी बांधे और हर भाई अपनी सगी बहन से ही राखी बंधवायें बल्कि ये त्याग और समर्पण का रिश्ता होता है इसलिए हमारी बहने अन्य लड़को को भी राखी बांध तक उन्हें अपना भाई बना लेती है और इसी प्रकार हर भाई दूसरी लड़कियों से राखी बंधवाकर उन्हें अपनी बहन बना लेते है और यही इसके व्यापक महत्व को दर्शाता है।
क्योंकि रक्षा बंधन में, जरुरी नहीं है कि, आपकी सगी बहन या सगा भाई ही हो बल्कि आपके भीतर प्यार, समर्पण और अपनापन होना चाहिए जिससे आप किसी को भी अपनी बहन व भाई बना सकते है और रक्षा बंधन के त्यौहार का उत्सव मना सकते है।
रक्षा बंधन के कितने प्रसंग है?
यहां पर हम, आपको बता दें कि, रक्षा बंधन के महत्व और समर्पण को दर्शाते अनेको प्रसंग है जिन्हें हम, बिंदु दर बिंदु आपके सामने कुछ बिंदुओं की मदद से प्रस्तुत करना चाहते है जो कि, इस प्रकार से हैं –
-
रक्षा बंधन का पौराणिक प्रसंग क्या है?
यदि आपसे पूछा जाये कि, रक्षा बंधन का त्यौहार कब और कैसे शुरु हुआ तो शायद आप इसका जबाव नहीं दे पायेगे लेकिन हमें, इसका जबाव “भविष्य पुराण’’ मे मिलता है।
भविष्य पुराण में, वर्णन है कि, देवताओं व दानवो के युद्ध में, दानव जीत की तरफ बढ़ने लगे थे जिसे देख देवो के देव इंद्र घबरा गये और तुरन्त बृहस्पति के पास पहुंच सारी कथा कह सुनाई जिसे सौभाग्य से उनकी पत्नी इंद्राणी ने, सुन लिया था और अपने पति की रक्षा और जीत को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें पवित्र मंत्रो की शक्ति प्राप्त एक घागे को अपने पति की कलाई पर बांध दिया और सौभाग्य व संयोग के सुमिश्रण से वह दिन “श्रावण मास की पूर्णिमा’’ का दिन था।
इसके बाद ना केवल इंद्र व अन्य देवता दावनो को हरा पाये बल्कि अपने गौरव को भी बरकरार रख पाये। ठीक इसी तरह से कृष्ण व द्रौपदी की कहानी भी रक्षा बंधन के महत्व को दर्शाती है।
-
रक्षा बंधन का ऐतिहासिक प्रसंग क्या है?
यदि हम, इतिहास के पन्नो को पलटें को हमें, ऐसे अनेको अवसर देखने को मिलेंगे जहां पर रक्षा बंधन की लाज, सम्मान और प्रतिष्ठा की रक्षा की गई है जैसे कि – राजपूत जब युद्ध करने जाते है तो उसकी स्त्रियां उनके माथे पर विजयश्री के तिलक के साथ ही साथ हाथ में, विजयश्री का घागा भी बांधती थी जो कि, ना केवल उनकी सुरक्षा को बल्कि उनकी विजय को भी सुनिश्चित करता था।
ठीक इसी प्रकार जब बहादुरशाह मेवाड़ की रानी कर्मावती पर हमला करने निकाल था तब रानी कर्मावती ने, मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजकर एक भाई के नाते अपनी बहन के लाज, सम्मान और प्रतिष्ठा की सुरक्षा की दुहाई दी थी जिसे हुमायूं ने, बखुबी निभाया था।
-
रक्षा बंधन का साहित्यिक प्रसंग क्या है?
चूंकि साहित्य का शब्दार्थी सामाजिक हित होता है इसीलिए जब हम, रक्षा बंधन के साहित्यिक प्रसंग की बात करते है तो हमें, अनेको ग्रंथो, उपन्यासो, गीतो, कविताओं और साहित्य की तस्वीर प्रस्तुत करती है फिल्मों में, आकर्षक ढंग से रक्षा बंधन के अनेको प्रसंगो को देखने का सुअवसर प्राप्त होता है।
-
रक्षा बंधन का सामाजिक प्रसंग क्या है?
रक्षा बंधन का सामाजिक प्रसंद बेहद व्यापक व असीमित दायरो वाला है क्योंकि इसके माध्यम से पूरे समाज का त्याग, समर्पण, प्यार और अपनेपन की भावना को अभिव्यक्ति मिलती है। सामाजिक तौर पर हर भाई, इसी दिन अपनी बहन से राखी बंधवाता और उपहारस्वरुप उसकी आजीवन सुरक्षा का वचन देता है जिसे हर बहन भाई के चरण-स्पर्श करके शिरोधार्य करती है।
उपरोक्त बिंदुओं की मदद से हमने आप सभी को रक्षा बंधन के अलग-अलग प्रसंगो की जानकारी प्रदान की ताकि आप इस रिश्ते की गहराई को समझ सकें।
रक्षा बंधन पर सरकारी प्रबंध कैसा होता है?
भारत सरकार द्धारा रक्षा बंधन के सुअवसर पर अनेको हितकारी प्रबंध किये जाते है जैसे कि:–
- भारतीय डाक – तार विभाग द्धारा सुन्दर व आकर्षिक लिफाफों की बिक्री केवल 10 रुपयो में की जाती है जिसमें से 5 रुपय लिफाफे की कीमत होती है और 5 रुपय डाक का शुल्क होता है और ये विशेष प्रबंध इसलिए किया जाता है ताकि एक बहन दूर बैठे अपने भाई को राखी भेज सकें और रक्षा बंधन का उत्सव खुशी – खुशी मना सकें,
- वहीं दूसरी तरफ अलग – अलग राज्यों की सरकारें सभी महिलाओं के लिए सार्वजनिक परिवहन में, मुफ्त यात्रा की सौगात प्रदान करती है ताकि हर बहन, अपने भाई के पास जाकर उन्हें राखी बांध सकें आदि।
उपरोक्त बिंदुओं की मदद से हमने आपको रक्षा बंधन पर सरकारी प्रबंधों की जानकारी प्रदान की।
उपसंहार:-
रक्षा बंधन का त्यौहार प्यार व समर्पण का त्यौहार है जिसका हर भाई और बहन को लम्बे समय से इंतजार होता है जो कि, ना केवल रक्षा बंधन के त्यौहार पर निबंध के महत्व को दर्शाता है बल्कि साथ ही साथ भारतीय संस्कृति और रिति रिवाजों की पवित्रता व अखंडता को भी दर्शाता है और इसीलिए हमने अपने इस आर्टिकल में, विशेष तौर पर आप सभी को Raksha Bandhan Essay in Hindi में, प्रदान करने का पूरा-पूरा प्रयास किया है।
अन्त हमें, उम्मीद है कि, आपको रक्षा बंधन पर आधारित हमारा ये आर्टिकल जरुर पंसद आया होगा व आर्टिकल में, दी गई जानकारी आपको रोचक प्रतीत हुई होगी जिसके लिए ना केवल आप हमारे इस आर्टिकल को लाइक करेंगे, शेयर करेंगे बल्कि अपने विचार व सुझाव हमें, कमेंट करके बतायेंगे ताकि हम, इसी तरह के आर्टिकल आपके लिए लाते रहें क्योंकि यही हमारा प्राथमिक व मौलिक लक्ष्य है।
अन्य पढ़ें:–