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Swami Vivekananda In Hindi: स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय!
स्वामी विवेकानंद के बारे में हम सब जानते हैं| उनके व्यक्तित्व की परकाष्टा करना किसी भी व्यक्ति के लिए गर्व का विषय हैं| वे हिन्दू सभ्यता के शिरोमणि संत थे| वह एक तत्व ज्ञानी, उच्चकोटि के वक्ता सच्चे देशभक्त, और आध्यात्मिक मन के स्वामी कहे जाते थे| उन होने अपना सम्पूर्ण जीवन दूसरे जीवो के कल्याण के लिए लगा दिया| Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद ने हिन्दू ज्ञान का परचम पूरी दुनिया के सामने रखा|
उनके द्वारा बताई गई यहीं प्रेणादायक बातें आज हमारे आध्यात्मिक एवं मानसिक विकास का आधार बनी| उनका सर्वदा भाईचारे और आत्मचेतना का सन्देश विश्व में चिर परिचित हैं| स्वामी जी कम उम्र में ज्ञान प्राप्त करने वाले युवा संत थे जो युवाओ के प्रेणना स्तम्भ भी कहलाता हैं| श्याद यहीं कारन हैं, की उनके जन्मदिवस को युवा दिवस के रूप में मनाया जाता हैं|
स्वामी विवेकानंद की जीवनी – Swami Vivekananda Biography in Hindi
(Vivekanand Jayanti) स्वामी विवेकानंद का जन्म,१२ जनवरी १९८३ को सक्रांति के दिन, पिता विश्वनाथ दत्ता और माता भुवनेश्वर दत्ता के यहाँ हुआ था|उनके पिता एक प्रतिष्ठित सरकारी प्रतिनिधि थे| माता भुवनेश्वरी सरल स्वभाव की ईश्वर में आस्था रखने वाली महिला थी| स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम, नरेंद्र था| बालक नरेंद्र बचपन से ही मेधावी छात्र थे| उनके जिज्ञासु स्वभाव के परिणाम स्वरुप उनका रुझान संगीत और कला में भी बड़ा|
उनकी प्रारंभिक शिक्षा मेट्रोपोलिटन संसथान व् उसके बाद, प्रेसीडेंसी कॉलेज कलकत्ता में हुयी| उन्हें सभी विषयो की अच्छी खासी पकड़ थी| इसके अलावा वे खेल कूद और कसरत में भी विशेष रूचि रखते थे| अपने युवा काल में स्वामीजी ने सभी उपनिषद, ग्रंथो, वेदो, और भगवत गीता का सार प्राप्त कर लिया था|
स्वामीजी का रामकृष्ण परमहंस से ज्ञान प्राप्ति:-
स्वामीजी बचपन से ही आध्यात्मिकता से जुड़े हुए थे| उनके मन में हमेशा से एक प्रश्न गुजा करता था, की क्या सच में ईश्वर होता हैं| क्या किसीने उससे आज तक देखा हैं ? हिन्दू सभ्यता के अनुसार अनेको रूपों में से,आखिर वह किस रूप में रहता हैं|युवा नरेंद्र अपने इन्ही प्रश्नो के साथ कई वर्षो तक भटकते रहे| अंततः उनके भेट दक्षिणेवर के मंदिर में निवास करने वाले एक संत से हुयी| उनने पुनः अपना प्रश्न उनके समक्ष भी रखा|
सामने से जो उत्तर प्राप्त हुआ, उसने युवा नरेंद्र के ह्रदय में गहरा स्थान बना लिया| वह संत थे, राम कृष्णा पराम् हंस, और उनका उत्तर था, हाँ! मैंने ईश्वर को ठीक वैसे ही देखा हैं, जैसा में तुम्हे देख पा रहा हूँ|दोनों के भींच हुुई इस वार्ता ने, युवा नरेंद्र के ह्रदय में उठे सभी प्रश्नो के तूफ़ान को शांत किया|
स्वामीजी – आध्यात्मिक चेतना – Swamiji – Spiritual Consciousness
१८८४, का वर्ष युवा नरेंद्र के जीवन में कड़ी परीक्षा का वर्ष था| अचानक हुई पिता के स्वगवास ने, उनके कंधो पर परिवार की जिम्मेदारी ला दी| अपनी स्थिति से परेशान हों ,वे अपने गुरुदेव परमहंस के पास गए, और अनुरोध किया की वह माता काली से उनके लिए धन–धान का आशीर्वाद मांगे| परन्तु, जब माँ काली, रामकृष्ण के समक्ष प्रकट हुई तो वे केवल उनसे विवेक और बैराग्य ही मांग पाए|
जब इस घटना का पता नरेंद्र को चला, तो उनका ह्रदय भी जीवन की मोह माया से हट गया| सन १८८६ में रामकृष्ण का देववास हों गया| तद पश्चात नरेंद्र और उनके बाकि साथियो ने मिलकर, रामकृष्ण के आध्यात्मिक ज्ञान को आगे बढ़ाया और आर्थिक रूप से निर्भर लोगो की सहयता को अपना लक्ष्य बनाया|
स्वामीजी का अमेरिकी संसद में भाषण:-
सन १८९३ में हुए विश्वप्रसिद्ध शिकागो धरम सम्मलेन में उनके द्वारा हिन्दू सभ्यता के विषय में दिए गये भाषण को ख्याती प्राप्त हुई| उनके द्वारा सव्रप्रथम सभा का सम्भोधन “मेरे प्यारे भाइयो और बहनो” ने सभागार को गूंजा दिया| सभी सभा सदस्य अपने स्थान से उनके सम्मान में उठ खड़े हुए| स्वामीजी ने अमेरिकियों को सामने भारतीय आध्यात्मिक ज्ञान का सागर बहा दिया|
स्वामीजी का देववास
स्वामीजी ने भविष्य वाणी की थी की वे, ४० वर्ष उपरांत ही देह त्याग देंगे| हुआ भी यहीं, १९०२ की ४ जुलाई को, स्वामीजी जब ध्यान में बैठे, तो सदैव के लिए ईश्वर में विलीन हों गए|
स्वामीजी का जीवन सदैव हम सभी मनुष्यो के लिए प्रेणना का स्त्रोत रहेगा| स्वामीजी ने सम्पूर्ण विश्व को यह बतलाया की भारत जैसा देश इतने वर्षो से साथ हैं उसका कारण उनके ह्रदय में बसने वाली उनकी करुणा, मानवता और परस्पर प्रेम की भावना हैं ,जो की उदाहरण हैं, सबके लिए| स्वामीजी ज्ञान का उस सागर का नाम हैं जिसमे सभी प्राणियो के समस्या का निवारण हैं|
जैसा की मैंने पहले भी कहाँ की स्वामीजी , युवा पीढ़ी के ऊर्जा स्तम्भ हैं,जिसकी आज के युग में युवा पीढ़ी को बेहद आवश्कत हैं| स्वामीजी का मानना था , की युवा ही देश का भविष्य हैं, इसलिए उनका आध्यात्मिक एवं मानसिक रूप से मजबूत होना अनिवार्य हैं| मुझे उम्मीद हैं की सभी पाठको को स्वामीजी के जीवन से मेरी तरह आपको भी प्रेणना मिली होगी|
Swami Vivekananda Quotes Thoughts in Hindi
“उठो! जागो और आगे बढ़ो तब तक न रुको जब तक लक्ष्य को प्राप्त न कर लो।”
“अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है।” ― स्वामी विवेकानंद
“किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आये – आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।”
“दिन-रात अपने मस्तिक्ष को, उच्चकोटि के विचारो से भरो, जो फल प्राप्त होगा वह निश्चित ही अनोखा होगा।”
“जीवन में जोखिम लेना सीखे, अगर आप जीते तो आप और आगे बड़ेगे, अगर हारे तो दुसरो को आगे बढ़ने में सहयक बनेगे।”
“जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।” ― स्वामी विवेकानंद
“अनुभव सर्वश्रेष्ठ गुरु हैं, हम अक्सर इसका गुणगान करते हैं परन्तु असलियत में इसके अर्थ से अनिभिज्ञ हैं।”
“खुद पर अटूट विशवास विश्व तक को हमरे चरणों में लाने की ताकत रखता हैं।”
“जब तक जीना तब तक सीखना, अनुभव ही जीवन में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।” ― स्वामी विवेकानंद
“अंखड ब्राह्माण की ऊर्जा हमारे लिए हैं, परन्तु अज्ञानी लोग इसे अंधेरा समझ नजर अंदाज कर, बस रोते ही रहते हैं।”
“आप जब तक ईश्वर पर विश्वास नहीं करेंगे जब तक आप स्वयं पर विश्वास रखना नहीं सीख जाते।”
“अध्यात्मिक मार्ग में मनुष्य का सच्ची शिक्षक केवल और केवल उसकी आत्मा होती हैं।” ― Swami Vivekananda
“सत्य अगर सौ अलग अलग प्रकार, से कितना भी घुमा फिरा कर कहाँ जाये तो भी वह रहता सत्य ही हैं।”
“भरोसा भगवान पर है तो जो लिखा है तक़दीर में वही पाओगे भरोसा खुद पर है तो भगवान वही लिखेगा जो आप चाहोगे।” ― Swami Vivekananda
“शुद्ध रहिये और दुसरो के साथ अच्छा कीजिये, यह सभी पूजा का सार है।” ― Swami Vivekananda
“एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उस में डाल दो और बाकी सब भूल जाओ।”
“पहले स्वयं संपूर्ण मुक्तावस्था प्राप्त कर लो, उसके बाद इच्छा करने पर फिर अपने को सीमाबद्ध कर सकते हो। प्रत्येक कार्य में अपनी समस्त शक्ति का प्रयोग करो।” ― स्वामी विवेकानंद
“मनुष्य जितना अपने अंदर से करुणा, दयालुता और प्रेम से भरा होगा, वह संसार को भी उसी तरह पायेगा।”
“स्वयं में बहुत सी कमियों के बावजूद अगर में स्वयं से प्रेम कर सकता हूं तो दूसरों में थोड़ी बहुत कमियों की वजह से उनसे कैसे घृणा कर सकता हूँ।”
“तुम परिश्रम करके स्वर्ग के ज्यादा नजदीक हो गे, बजाय गीता के अध्ययन करके।”
“वे अकेले रहते है जो दूसरों के लिए जीते है, बाकि जिंदा से ज़्यादा मरे हुए है।” ― Swami Vivekananda
“आप ईश्वर में तब तक विश्वास नहीं कर पाएंगे जब तक आप अपने आप में विश्वास नहीं करते।” ― स्वामी विवेकानंद
Final Words:-
हमारी पूरी कोशिश रही हैं की सभी विचारो का हिंदी अनुवाद, सरल एवं स्पष्ट रूप से हों| और चुकी दुसरी भाषा में अनुवाद करना और शत प्रतिशत उसी भावना के साथ उतना सरल नहीं होता, तो अगर पाठको को इसमें किसी भी तरह की भाशयी अशोधी लगे, तो हमारी वेबसाइट और ना ही अनुवाद करता इसके जिम्मेदार होंगे|
हमे पूरी आशा हैं की, आपको हमारे ये “Hindi Vivekananda Quotes” post article स्वामी विवेकानंद के अनमोल और सुनदर विचार अच्छा लगा होगा, आप सभी के सुझाव हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं| निवेदन हैं आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में, कमेंट अवश्य करे, और हमे जरूर बातये की आपको कैसा लगा | इस को अपने सभी मित्रो के साथ जरूर Share करे|
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