Chalisa
सरस्वती चालीसा: Saraswati Chalisa, Lyrics, Mantra, Path, Benefits in Hindi
ज्ञान की देवी कही जाने वाली माता सरस्वती जगत से अज्ञानता का अन्धकार मिटाकर, ज्ञान के नये उज्जवल अरुणोदय का मार्ग प्रशस्त करती है जिससे पूरे जगत में, ज्ञान का दीपक प्रकाशमान होता है और इसीलिए माता सरस्वती को “ज्ञान की देवी’’ की संज्ञा दी जाती है जिनकी पूजा व आराधना हमारे भक्तजन बड़ी ही श्रद्धा से करते है और इसीलिए उनकी श्रद्धा को सम्पूर्ण बनाने के लिए हम, अपने इस आर्टिकल सरस्वती चालीसा । Saraswati Chalisa में, आपको सरस्वती माता को समर्पित सरस्वती चालीसा का पूरा पाठ प्रस्तुत करेंगे।
सरस्वती चालीसा विद्या की देवी की करें वंदना:-
“शरदिंदु समाकारे परब्रहम स्वरूपिणी वासरा पीठनिलये, सरस्वती नमोस्तुते।।”
कहने की बात नहीं है लेकिन कहना जरुरी है कि, माता सरस्वती, ज्ञान की देवी है जिनका महत्व हमारे विद्यार्थियों व विद्यार्थी जीवन में अत्यधिक होता है क्योंकि हमारे विद्यार्थियों द्धारा बड़े ही धूम-धाम के साथ बसंत पंचनी के दिन माता सरस्वती की पूजा-आराधना की जाती है ताकि उन्हें ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति हो और वे जीवन में, निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति करके जीवन में, सफलता प्राप्त कर सकें।
साथ ही साथ माता सरस्वती को सुख व सौभाग्य की देवी भी कहा जाता है कि, क्योंकि माता सरस्वती की महिमा के भक्तों के सोये भाग जाग जाते है अर्थात् उनके सभी बिगड़ते काम बनने लगते है और उन्हें सफलता की प्राप्ति होती है इसीलिए माता सरस्वती की भारतवर्ष के साथ ही साथ पूरे विश्व में, बड़े ही धूम-धाम से पूजा व आराधना की जाती है।
“तुझमें ही नवाते शीष, हे शारदा मैया, दे अपना आशीष।”
अन्त, हम, अपने इस आर्टिकल सरस्वती चालीसा । Saraswati Chalisain Hindi में, अपने सभी भक्तों व विद्यार्थियों को विस्तार से माता सरस्वती की महिमा को समर्पित Shree Saraswati Chalisa सरस्वती चालीसा का सम्पूर्ण पाठ प्रस्तुत करेंगे ताकि हमारे सभी भक्तों के साथ ही साथ विद्यार्थीगण नियमित ढंग से सरस्वती चालीसा का पठन-पाठन करके ना केवल ज्ञान की प्राप्ति कर सकें बल्कि सुख व सौभाग्य की प्राप्ति भी कर सकें।
माता सरस्वती की जन्म कैसे और किसके यहां हुआ?
वैसे तो आप सभी भली-भांति जानते होंगे कि, ज्ञान की देवी अर्थात् माता सरस्वती का जन्म, ब्रह्मा जी के मुहं से हुआ था जिनकी सुन्दरता को शब्दो में, पिरोया नहीं जा सकता है और ना ही उनकी वीणा की धुन की मिठास को व्यक्त किया जा सकता है इसीलिए आमतौर पर माता सरस्वती को वीणा की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है।
सरस्वती चालीसा का महत्व क्या है?
“मां सरस्वती का वरदान हो आपको,
हर दिन नई मिले ख़ुशी आपको,
दुआ हमारी है खुदा से ऐ दोस्त,
जिन्दगी में सफलता हमेशा मिले आपको।”
हम, कुछ बिंदुओँ की मदद से आप सभी को विस्तार से सरस्वती चालीसा के महत्व से परिचित करवाना चाहते है जो कि, इस प्रकार से हैं:-
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ज्ञान का सबसे बड़ा स्रोत है सरस्वती चालीसा
“किताबों का साथ हो, पेन पर हाथ हो,
कोपिया आपके पास हो, पढाई दिन रात हो,
जिंदगी के हर इम्तिहान में आप पास हो।
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।”
Saraswati Chalisa सरस्वती चालीसा का सबसे बड़ा महत्व तो यही है कि, माता सरस्वती की महिमा व ज्ञान को समर्पित सरस्वती चालीसा का ज्ञान का सबसे बड़ा स्रोत कहलाता है जिसके नियमित पठन-पाठन से भक्तजनों व विद्यार्थियों को ज्ञान की प्राप्ति होती है और उनके उज्जवल भविष्य का निर्माण होता है।
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सुख व सौभाग्य का स्रोत है सरस्वती चालीसा
आमतौर पर माता सरस्वती को केवल ज्ञान की देवी के तौर पर ही जाना जाता है जो कि, एक अर्धसत्य है क्योंकि माता सरस्वती, ज्ञान की देवी के साथ ही साथ सुख व सौभाग्य की भी देवी है जिनकी महिमा व कृपा से व्यक्ति के सोये भाग जाग जाते है और व्यक्ति रंक से राजा बन बैठता है।
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सरस्वती चालीसा, घर-गृहस्थी का कल्याणकर्ता है
जी हां, आप बिलकुल सही पढ़ रहे है कि, सरस्वती चालीसा का नियमित तौर पर पठन-पाठन हमारी घर-गृहस्थी को ना केवल सुखमय बनाता है बल्कि साथ ही साथ घर में, शांति और खुशी का संचार भी करता है।
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व्यक्ति के विकास का परिचायक है सरस्वती चालीसा
सरस्वती चालीसा का एक महत्व यह भी है कि, सरस्वती चालीसा व्यक्ति के सतत व सर्वांगिन विकास को सुनिश्चित करता है और उनके उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है।
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सरस्वती चालीसा का धार्मिक महत्व क्या है?
आइए अब हम, आप सभी को बतायें कि, माता सरस्वती की महिमा को समर्पित सरस्वती चालीसा का धार्मिक महत्व क्या है। सरस्वती चालीसा का धार्मिक महत्व सीधे तौर पर पौराणिक इतिहास से जुड़ा है जिसके अनुसार माता सरस्वती को वाग्देवी की संज्ञा भी प्रदान की जाती है जिसका अर्थ बोलने,लिखने, शब्द की उत्पत्ति, दिव्यश्लोक विन्यास व संगीत से माना जाता है आदि।
उपरोक्त बिंदुओँ की मदद से हमने अपने सभी भक्तों को Shri Saraswati Chalisa in Hindi सरस्वती चालीसा के महत्व से अवगत करवाया।
“साहस शील ह्रदय में भर दे
जीवन त्याग तपोमर कर दे
संयम सत्य स्नेह का वर दे
हे वीणा वादिनी, ऐसा आशीर्वाद तू सबके सिर दे”
Saraswati Chalisa Padhne Ke Fayde: सरस्वती चालीसा के फायदें
“बलबुद्धि विद्या देहु मोहि!
सुनहु सरस्वती मातु!
राम सागर अधम को,
आश्रय तू ही देदातु!
आप सब को बसंत पंचमी की बधाई!”
कुछ बिंदुओं की मदद से हम, अपने सभी भक्तों व विद्यार्थियों को सरस्वती चालीसा के फायदों के बारे में बताना चाहते है जो कि, इस प्रकार से हैं:-
- नियमित तौर पर सरस्वती चालीसा का पाठ करने से भक्तो व विद्यार्थियों को ज्ञान व बुद्धि की प्राप्ति होती है,
- सरस्वती चालीस का पाठ करने से माता सरस्वती अपने भक्तों को महानतम सम्पत्ति व जनसम्पदा प्रदान करती है,
- श्वेत वस्त्र, मोती व पुष्प से माता सरस्वती की पूजा करने पर माता सरस्वती प्रशन्न होती है और भक्तों को उद्धार करती है,
- सरस्वती चालीसा के पठन-पाठन से भक्तों को सुख व सौभाग्य की प्राप्ति होती है,
- सरस्वती चालीसा का पाठ करने से भक्तों को नई ऊर्जा की प्राप्ति होती है,
- सरस्वती चालीसा का पाठ करने से भक्तजनों को उनके सभी कार्यो में, सफलता प्राप्त होती है,
- सरस्वती चालीसा का पाठ करने से हमारे भक्तों व विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य का निर्माण होता है।
उपरोक्त बिंदुओं की मदद से हमने अपने सभी भक्तों व पाठकों को Benefits of Saraswati Chalisa सरस्वती चालीसा के फायदों से परिचित करवाया।
सरस्वती चालीसा : Saraswati Chalisa
“वीणा लेकर हाथ में,
सरस्वती हो आपके साथ में,
मिले मां आर्शीवाद आपको हर दिन,
हर वार हो मुबारक बसंत पंचमी का त्यौहार,
बंसत पंचमी की शुभकामनाएं।”
॥ दोहा ॥
जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥
॥ चालीसा ॥
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।
जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥
जय जय जय वीणाकर धारी।
करती सदा सुहंस सवारी॥
रूप चतुर्भुज धारी माता।
सकल विश्व अन्दर विख्याता॥
जग में पाप बुद्धि जब होती।
तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥
तब ही मातु का निज अवतारी।
पाप हीन करती महतारी॥
वाल्मीकि जी थे हत्यारा।
तव प्रसाद जानै संसारा॥
रामचरित जो रचे बनाई।
आदि कवि की पदवी पाई॥
कालिदास जो भये विख्याता।
तेरी कृपा दृष्टि से माता॥
तुलसी सूर आदि विद्वाना।
भये और जो ज्ञानी नाना॥
तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा।
केव कृपा आपकी अम्बा॥
करहु कृपा सोइ मातु भवानी।
दुखित दीन निज दासहि जानी॥
पुत्र करहिं अपराध बहूता।
तेहि न धरई चित माता॥
राखु लाज जननि अब मेरी।
विनय करउं भांति बहु तेरी॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा।
कृपा करउ जय जय जगदंबा॥
मधुकैटभ जो अति बलवाना।
बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना॥
समर हजार पाँच में घोरा।
फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा॥
मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।
बुद्धि विपरीत भई खलहाला॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥
चंड मुण्ड जो थे विख्याता।
क्षण महु संहारे उन माता॥
रक्त बीज से समरथ पापी।
सुरमुनि हदय धरा सब काँपी॥
काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा।
बारबार बिन वउं जगदंबा॥
जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा।
क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा॥
भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई।
रामचन्द्र बनवास कराई॥
एहिविधि रावण वध तू कीन्हा।
सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा॥
को समरथ तव यश गुन गाना।
निगम अनादि अनंत बखाना॥
विष्णु रुद्र जस कहिन मारी।
जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥
रक्त दन्तिका और शताक्षी।
नाम अपार है दानव भक्षी॥
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥
दुर्ग आदि हरनी तू माता।
कृपा करहु जब जब सुखदाता॥
नृप कोपित को मारन चाहे।
कानन में घेरे मृग नाहे॥
सागर मध्य पोत के भंजे।
अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥
भूत प्रेत बाधा या दुःख में।
हो दरिद्र अथवा संकट में॥
नाम जपे मंगल सब होई।
संशय इसमें करई न कोई॥
पुत्रहीन जो आतुर भाई।
सबै छांड़ि पूजें एहि भाई॥
करै पाठ नित यह चालीसा।
होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा॥
धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।
संकट रहित अवश्य हो जावै॥
भक्ति मातु की करैं हमेशा।
निकट न आवै ताहि कलेशा॥
बंदी पाठ करें सत बारा।
बंदी पाश दूर हो सारा॥
रामसागर बाँधि हेतु भवानी।
कीजै कृपा दास निज जानी।
॥ दोहा ॥
मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप।
डूबन से रक्षा करहु परूँ न मैं भव कूप॥
बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।
राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु॥
🙏🙏 जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता। 🙏🙏
Sarswati Mata Chalisa Lyrics
।। Doha।।
Janak Janani Pad Kamal Raj, Nij Mastak Par Dhaari,
Bandau Maatu Saraswati, Buddhi Bal De Daataari.
Purn Jagat Mein Vyaapt Tav, Mahima Amit Anantu,
Ramsaagar Ke Paap Ko, Maatu Tuhi Ab Hantu.
।। Chaupai ।।
Jay Shri Sakal Buddhi Balaraasi, Jay Sarvagya Amar Avinaasi.
Jay Jay Veenaakar Dhaari, Karati Sadaa Suhans Savaari.
Roop Chaturbhujadhaari Maata, Sakal Vishv Andar Vikhyaata.
Jag Mein Paap Buddhi Jab Hoti, Jabahi Dharm Ki Phiki Jyoti.
Tabahi Maatu Le Nij Avataara, Paap Heen Karati Mahi Taara.
Baalmiki Ji The Baham Gyaani, Tav Prasaad Janie Sansaara.
Raamaayan Jo Rache Banaai, Aadi Kavi Ki Padavi Paai.
Kalidaas Jo Bhaye Vikhyaata, Teri Kripaa Drishti Se Maata.
Tulasi Sur Aadi Vidvaana, Bhaye Aur Jo Gyaani Nana.
Tinhahi Na Aur Raheu Avalamba, Keval Kripa Aapaki Amba.
Karahu Kripa Soi Maatu Bhavaani, Dukhit Din Nij Daasahi Jaani.
Putra Karai Aparaadh Bahuta, Tehi Na dharai Chitt Sundar Maata.
Raakhu Laaj Janani Ab Meri, Vinay Karu Bahu Bhaanti Ghaneri.
Mein Anaath Teri Avalamba, Kripa Karau Jay Jay Jagadamba.
Madhu Kaitabh Jo Ati Balavaana, Baahuyuddh Vishnu Te Thaana.
Samar Hajaar Paanch Mein Ghora, Phir Bhi Mukh Unase Nahi Mora.
Maatu Sahaay Bhai Tehi Kaala, Buddhi Viparit Kari Khalahaala.
Tehi Mrityu Bhai Khal Keri, Purvahu Maatu Manorath Meri.
Chand Mund Jo The Vikhyaata, Chhan Mahu Sanhaareu Tehi Maata.
Raktabij Se Samarath Paapi, Sur-Muni Hriday Dhara Sab Kampi.
Kaateu Sir Jim Kadali Khamba, Baar Baar Binavau Jagadamba.
Jag Prasidhdh Jo Shumbh Nishumbha, Chhin Me Badhe Taahi Tu Amba.
Bharat-Maatu Budhi Phereu Jaai, Ramachandra Banvaas Karaai.
Ehi Vidhi Raavan Vadh Tum Kinha, Sur Nar Muni Sab Kahu Sukh Dinha.
Ko Samarath Tav Yash Gun Gaana, Nigam Anaadi Anant Bakhaana.
Vishnu Rudra Aj Sakahi Na Maari, Jinaki Ho Tum Rakshaakaari.
Rakt Dantika Aur Shataakshi, Naam Apaar Hai Daanav Bhakshi.
Durgam Kaaj Dhara Par Kinha, Durga Naam Sakal Jag Linha.
Durg Aadi Harani Tu Maata, Kripa Karahu Jab Jab Sukhadaata.
Nrip Kopit Jo Maaran Chaahei, Kaanan Mein Ghere Mrig Naahei.
Saagar Madhy Pot Ke Bhange, Ati Toofaan Nahi Kou Sange.
Bhoot Pret Baadha Yaa Dukh Mein, Ho Daridra Athava Sankat Mein.
Naam Jape Mangal Sab Koi, Sanshay Isame Karai Na Koi.
Putrahin Jo Aatur Bhaai, Sabei Chhaandi Puje Ehi Maai.
Karai Path Nit Yah Chaalisa, Hoy Putra Sundar Gun Isa.
Dhupaadik Naivedy Chadhavei, Sankat Rahit Avashy Ho Jaavei.
Bhakti Maatu Ki Karei Hamesha, Nikat Na Aavei Taahi Kalesha.
Bandi Path Kare Shat Baara, Bandi Paash Door Ho Saara.
Karahu Kripa Bhavamukti Bhavaani, Mo Kahn Daas Sadaa Nij Jaani.
।। Doha ।।
Mata Sooraj Kaanti Tav, Andhkaar Mam Roop,
Dooban Te Raksha Karahu, Paru Na Mein Bhav-Koop.
Bal Buddhi Vidya Dehu Mohi, Sunahu Sarasvati Maatu,
Adham Ramasaagarahi Tum, Aashray Deu Punaatu.
🙏🙏 जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता। 🙏🙏
“मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ जय…..
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…”
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“सरस्वती नमस्तुभ्यम
वरदे कामा रूपिणी!
विद्यारंभम करिश्यमी,
सिद्धिर बवाटू मे सदा!”
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