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Ram Navami Festival in Hindi: राम नवमी क्यों तथा कैसे मनाते है? पूरी जानकारी हिंदी में
हमारे भारतवर्ष में प्रत्येक त्यौहार का अपना ही विशेष महत्त्व होता है। चूँकि हमारे देश भारत में अनेको सांस्कृतिक और धार्मिक त्यौहार मनाये जाते है। इन त्योहारों का महत्त्व और भी अधिक तब हो जाता है। जब हमारे द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार किसी विशेष धर्म अथवा व्यक्ति विशेष का त्यौहार होता है। चूँकि हमारे समाज में धार्मिक लोगो की संख्या बहुत अधिक है, जो धर्म में बहुत अधिक विश्वास रखते है। इसीलिए भारत में मनाये जाने वाले प्रत्येक धार्मिक त्यौहार को बड़े ही हर्षोउल्लास और धूम धाम के साथ मनाया जाता है। आज हम हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाले एक ऐसे ही विशेष त्यौहार के बारे में जानेंगे।
जिस पावन त्यौहार का हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्त्व होता है। जिसे हम प्रभु श्रीराम के जन्मदिवस के उपलक्ष में मनाते है, और जिसे हम राम नवमी के पावन त्यौहार के रूप में मनाते है। प्रभु श्रीराम के जन्मदिवस का यह त्यौहार राम नवमी धार्मिक त्योहारों में अपना विशेष ही महत्त्व रखता है। भगवान् श्रीराम जिन्हें हिन्दू धर्म में मर्यादा पुरषोत्तम के नाम से भी जाना जाता है।असल में मर्यादा पुरषोत्तम व्यक्ति केवल वही व्यक्ति होता है, जो अपनी मर्यादा के लिए पुरुषो में सबसे उत्तम पुरुष होता है। आज हम सभी मर्यादा पुरषोत्तम भगवान् श्रीराम के जन्म दिवस राम नवमी के बारे में जानेंगे। इस आर्टिकल में हम जानेंगे की राम नवमी क्यों मनाई जाती है? तथा राम नवमी का महत्त्व क्या होता है। इसी के साथ साथ उस आर्टिकल हम जानेंगे की राम नवमी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है।
राम नवमी त्यौहार क्या है ?
राम नवमी का त्यौहार हिन्दू धर्म में मनाए जाने उन प्रमुख त्योहारों में से एक है। जिसे अयोध्या निवासी और रावण का वध करने वाले भगवान् श्रीराम के जन्म दिवस के उपलक्ष में मनाया जाता है। समाज में रहने वाले लोगो द्वारा माना जाता है, की राम नवमी के ही दिन पृथ्वी पर दुष्टों का नाश करने तथा पाप को ख़त्म करने के लिए भगवान् विष्णु के परमावातार प्रभु श्रीराम ने जन्म लिया था।
जिससे की वह धरती को विनाश की ओर ले जाने वाले दुष्टों औपापियों का नाश कर सके। राम नवमी के त्यौहार को प्रमुख रूप में हिन्दू धर्म में भगवान् राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। राम नवमी के दिन को साल का सबसे शुभ दिन भी माना जाता है। क्योकि इसी दिन सभी ग्रह अपने अपने उच्चतम स्थान पर विराजमान होते है और हिन्दू मान्यताओ के अनुसार इसी दिन प्रभु श्रीराम ने अयोध्या में रजा दशरथ के घर जन्म लिया था। इसी कारण से राम नवमी के त्यौहार को इतना विशेष महत्त्व दिया जाता है।
राम नवमी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?
आपके मन में भी कभी न कभी यह जानने की प्रबल इच्छा जरुर जागृत हुई होगी की हमारे द्वारा राम नवमी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? और हिन्दू धर्म में राम नवमी के त्यौहार का क्या महत्त्व है। तब हम आपके मन की सभी शंकाओ को दूर करते हुए आपको बता दे की, हमारे देश भारत में राम नवमी का त्यौहार चैत्र मॉस के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दिन अर्थात राम नवमी के दिन ही हिन्दुओ के प्रमुख भगवान् श्री राम जी का जन्म हुआ था। हम राम नवमी का त्यौहार भगवान् विष्णु के अवतार भगवान् राम जी के जन्म दिल के रूप में मनाया जाता है। भगवान् श्रीराम जी का जन्म त्रेता युग में राम नवमी के पावन दिन में हुआ था।
राम नवमी के दिन भगवान् श्रीराम जी के जन्म का वर्णन वाल्मीकि द्वारा रचित हिन्दू धर्म के प्रमुख धर्मिक ग्रन्थ रामायण में भी विस्तार पूर्वक उपलब्ध है। हिन्दू धर्म के प्रमुख धार्मिक ग्रन्थ रामायण में उपस्थित बालकाण्ड के सरक अठारह के श्लोक आठ से दस के अनुसार ” ऋषि मुनियों के द्वारा किये गये यज्ञ समाप्ति के पश्चात लगभग छः ऋतुए ( मौसम ) बीत गयी। तत्पश्चात बारहवे मास में चैत्र के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि में पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में, अयोध्या में स्थित रजा दशरथ के पत्नी कौशल्यादेवी ने दिव्य लक्षणों से युक्त जगदीश्वर भगवान् श्रीराम जी को जन्म दिया था।
जब माता कौशल्या ने भगवान् श्रीराम को जन्म दिया था। उस समय सौरमंडल के पांच ग्रह ( सूर्य, मंगल, शनि, गुरु, तथा शुक्र ) अपने उच्चतम स्थान में थे तथा लग्न में चन्द्रमा के साथ बृहस्पति ग्रह विराजमान थे। इसी लिए हमारे द्वारा राम नवमी अर्थात भगवान् श्री राम जी के जन्म दिवस को राम नवमी को त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।
राम नवमी का त्यौहार कैसे मनाते है ?
चूँकि अब आपको भी ज्ञात हो गया है की हमारे द्वारा राम नवमी का त्यौहार भगवान् श्रीराम के जन्मदिवस की ख़ुशी प्रस्तुत करने के मनाया जाता है। चलिए अब हम जानते है की राम नवमी का त्यौहार हमारे द्वारा किस प्रकार से और कैसे मनाया जाता है। तब हम आपको बता दे की हमारे द्वारा मनाये जाने वाले राम नवमी के पर्व को मनाने की कोई विशेष विधि मौजूद ही नही है।
बल्कि भगवान् राम के जन्म दिवस राम नवमी के इस विशेष दिन को जिसने जिस रूप और भाव में मनाया वही तरीका उसके लिए सबसे उत्तम है। जिस व्यक्ति ने भी राम नवमी के दिन अपनी सुविधा के अनुसार जगत के पालनहार श्रीराम जी का अच्छे मन से ध्यान और निस्वार्थ भाव से पूजा कार्य किया। वह उस व्यक्ति के लिए राम नवमी के पावन त्यौहार को मनाने की विधि बन जाती है। जिसने भी त्रेता युग में भगवान् राम के जन्म दिन को जिस भी पूजा-स्तुति तथा विधि से मनाया था। राम नवमी के त्यौहार को मनाने की वही विधि परम्परा के रूप में आज भी चली आ रही है। चूँकि प्रायः कुछ लोग इस प्रकार से भी राम नवमी के पावन पर्व को मनाते है।
- यज्ञ तथा हवन करना: चूँकि राम नवमी के दिन भगवान् श्रीराम ने इस धरती पर दुष्टों का विनाश करने के जन्म लिया था। चूँकि भगवान् के जन्म से पहले ऋषि मुनियों और साधुजनों द्वारा शाश्वत यज्ञ किया गया था। इसीलिए वर्तमान समय में भी साधुजनों द्वारा राम नवमी के त्यौहार के दिन यज्ञ तथा हवन किये जाते है। जिससे की पृथ्वी पर हो रहे अत्याचार का विनाश करने के लिए पुनः प्रभु किसी न किसी रूप में इस धरती पर जन्म ले और पापियों का सर्वनाश करे।
- राम नवमी का व्रत: भगवान् श्रीराम जी के जन्मदिवस राम नवमी के पावन पर्व पर कुछ लोग स्वयम की व्रत ( उपवास ) रखते हुए अपने ही तरीके से राम नवमी के बेहतरीन पर्व को मनाते है। लोगो द्वारा व्रत के रूप में भगवान् श्री राम और श्रृष्टि को धन्यवाद दिया जाता है। उन्होंने खुद इस धरती पर जन्म लेकर इस धरती से पापियों का नाश किया और इस पावन धरा को श्रेष्ठ बनाया है। राम नवमी के साथ साथ हमारे भारतवर्ष में अनेक पर्वो पर लोगो द्वारा व्रत ( उपवास ) रखा जाता है।
- दान-दक्षिणा करना: कहा जाता है की राम नवमी के दिन साधुजनों और गरीबो में दान – दक्षिणा करने से श्रीराम जन्म दिवस का बहुत अधिक पुण्य प्राप्त होता है। राम नवमी के दिन हमारे द्वारा किया गया दान हमारे पूर्वजो और आने वाली पीढियों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इसीलिए बहुत से लोग राम नवमी के भंडारों का आयोजन करते है तथा गरीबो और जरुरतमंदो को दान-दक्षिणा भी करते है।
- श्रीरामचरित मानस का पाठ: श्री राम जन्मदिवस के उपलक्ष में राम नवमी के पावन पर्व के दिन धार्मिक स्थलों और मंदिरों में श्रीरामचरित मानस का निरंतर ही पाठ किया जाता है। सामूहिक तरीके के साथ साथ कुछ लोग तप अपने घरो में ही श्रीरामचरित मानस के पाठ का भव्य आयोजन भी कराते है। कुछ लोग धर्मिक स्थलों और मंदिरों में खुद जाकर की श्रीरामचरित मानस का पाठ करते है।
- भजन कीर्तन के रूप में: राम नवमी के दिन भगवान् श्री राम के जन्म दिवस को ख़ुशी और हर्षौल्लास के साथ धार्मिक जगहों पर विशेष रूप से भजन कीर्तन और साज का आयोजन किया जाता है। लोगो द्वारा इन भजन कीर्तनो में खूब हिस्सा लिया जाता है और लोगो द्वारा धार्मिक स्थलों और मंदिरों में राम नवमी के दिन लगभग पूरी रात्रि ही भजन – कीर्तन किया जाता है।
राम नवमी का महत्व:
हमारे देश भारत में अनेको धर्म मौजूद है और प्रत्येक धर्म के लिए अपने धार्मिक त्योहारों का अपना विशेष महत्त्व होता है। उसी प्रकार से राम नवमी का त्यौहार हिन्दू धर्म में भी अपना एक विशेष महत्त्व रखता है। चूँकि राम नवमी के दिन भगवान् श्रीराम जी का जन्म हुआ था, तब इसके उपलक्ष में समस्त भारतीयों द्वारा राम नवमी के पावन पर्व को भगवान श्री राम जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। हमारे भारतवर्ष में श्री राम नवमी का महत्त्व इसलिए भी बहुत अधिक हो जाता है। क्योकि जब त्रेता युग में हमारी धरती पर पापियों और दुष्टों की संख्या बढ़ने के साथ साथ उनके कुकर्मो और अत्याचारों की संख्या भी दिन प्रतिदिन बढती जा रही है।
इस हेतु इन दुष्टों के विनाश के लिए सभी आत्मीयजन ईश्वर से उनकी व धरती की रक्षा की प्रार्थना करने लगे थे। ऋषि मुनियो द्वारा तरह तरह के यज्ञ – हवन भी संपन्न किये जा रहे थे। इसीलिए धरती को विनाश से बचने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान् विष्णु के अवतार श्रीराम जी ने त्रेता युग में चैत्र के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि में अयोध्या के राजा दशरथ जी के यहा माता कौशल्या की पावन कोक से इस धरती पर जन्म लिया था। हिन्दू धर्म में मान्यताए है की यदि राम नवमी के दिन कोई भी व्यक्ति भगवान् राम की पूजा स्तुति करता है। उसके जीवन से सभी प्रकार के दुःख तथा तकलीफे दूर हो जाती है। इन प्रमुख कारणों से भी राम नवमी का महत्त्व और भी अधिक बढ़ जाता है।
- गंगा और सरयू नदी में स्नान: राम नवमी के पावन पर्व के दिन बहुत अधिक संख्या में लोग गंगा तथा सरयू नदी में स्नान करते है। हिन्दू धर्म में मान्यताए है की भगवान् श्री राम जी के जन्मदिवस पर राम नवमी के दिन यदि कोई भी व्यक्ति गंगा अथवा किसी भी पवित्र नदी में भगवान् का ध्यान करते हुए स्नान करता है। तब उसके जीवन के कष्टों का विनाश उसी प्रकार से हो जाता है। जिस प्रकार से भगवान श्रीराम जी ने रावण का वध किया था और इस धरती को दुष्टों के अत्याचारों से मुक्त किया था। राम नवमी के दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से प्राणिमात्र के सारे पाप दूर हो जाते है।
- श्रीराम की रथ यात्रा: राम नवमी के दिन भगवान् श्रीराम के जन्मोत्सव को सामाजिक रूप से बड़े हो धूम धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन जगह जगह पर भगवान् श्रीराम, माता सीता, भाई लक्षम और बजरंग बली हनुमान जी की शोभा यात्रा ( रथ यात्रा ) निकाली जाती है और इसी तरह के अनेको तरीको से हिन्दू धर्म में राम नवमी के पावन पर्व को मनाया जाता है।
निष्कर्ष:
हमारे देश में रहने वाले प्रत्येक समाज और धर्म के व्यक्तियों के लिए अपने अपने त्योहारों का अपना अपना विशेष महत्त्व होता है। भारतवर्ष में प्रत्येक व्यक्ति, समाज और धर्म को अपने त्योहारों को अपने विशेष तरीको से मनाने का संविधान में पूरा अधिकार प्राप्त है। इसी लिए हमारे देश भारत की यही तो सबसे प्रमुख विशेषता है की यहा ” अनेकता में भी सबसे बड़ी एकता है। ” हम आशा करते है की हम राम नवमी क्यों मनाते है ? और हिन्दू धर्म में राम नवमी का महत्त्व क्या होता है तथा राम नवमी क्या है ? इस विषय पर आज का यह आर्टिकल आपको अवश्य ही पसंद आया होगा।
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