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Mother Teresa Biography In Hindi : मानवतावादी मदर टेरेसा का सम्पूर्ण जीवन परिचय
Mother Teresa Biography In Hindi: “वह 10 सितम्बर, 1940 का दिन था जब मैं, अपने वार्षिक अवकाश पर दार्जिलिंग जा रही थी। उसी समय मेरी अन्तरआत्मा से आवाज़ उठी थी कि मुझे सब कुछ त्याग कर देना चाहिए और अपना जीवन ईश्वर एंव दरिद्र नारायण की सेवा कर के कंगाल के तन को समर्पित कर देना चाहिए।”
मानवता की सेवा का आजीवन संकल्प – मदर टेरेसा
मानवता की मिशाल व कलकत्ता की संत टेरेसा कही जाने वाली Mother Teresa जिन्होंने ना केवल 1950 में, मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की बल्कि साल 1980 में, उन्हें मृत्युपरान्त भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया उन्हीं के सम्पूर्ण समाज कल्याणकारी और मानवतावादी जीवन यात्रा पर आधारित होगा हमारा ये लेख।
मानवता व विश्व कल्याण की साक्षात मूर्ति कही जाने वाली Mother Teresa के जीवन पर आधारित आर्टिकल की मांग बहुत लम्बे समय की जा रही थी जिसमें Mother Teresa Short Biography, Mother Teresa Was Born In, What did Mother Teresa Do, Is Mother Teresa a Sant और साथ ही साथ Mother Teresa Noble Prize के बारे में, विस्तृत जानकारी मांगी जा रही थी।
अपने पाठको और युवाओं की इसी भारी मांग को सम्मान करते हुए हम, अपने इस लेख में Mother Teresa Biography In Hindi : मानवतावादी मदर टेरेसा का सम्पूर्ण जीवन परिचय प्रस्तुत करेंगे और साथ ही साथ उनके विश्व कल्याणकारी विचारो को भी आपके समक्ष प्रस्तुत करेंगे ताकि हम, आप और सभी विश्ववासी उनसे प्रेरणा व प्रोत्साहन प्राप्त कर सकें।
अन्त, मानवता की देवी के जीवन पर आधारित इस लेख में, इन बिंदुओ पर होगी विस्तृत चर्चा –
- Mother Teresa Short Biography? / मदर टेरेसा का संक्षिप्त जीवन परिचय?
- Mother Teresa Was Born In? / मदर टेरेसा का जन्म कहां हुआ?
- What did Mother Teresa Do? / मदर टेरेसा क्या करती थी?
- Is Mother Teresa a Sant? / क्या मदर टेरेसा एक संत थी?
- Mother Teresa Noble Prize? / मदर टेरेसा को नोबेल पुरस्कार कब और कैसे मिला?
- Mother Teresa Quotes? / मदर टेरेसा के अनमोल विश्व कल्याणकारी विचार?
Mother Teresa Short Biography? / मदर टेरेसा का संक्षिप्त जीवन परिचय?
1980 में, मृत्युपरान्त भारत रत्न से सम्मानित की जाने वाली Mother Teresa को प्रमुखता से उनके मानव कल्याणकारी कार्यो के लिए कलकत्ता की संत कहा जाता था लेकिन मूलत उनका जन्म वर्तमान मेसेडोनिया गणराज्य के सोप्जे क्षेत्र मे, हुआ था।
मैं, चाहती हूँ कि, आप अपने पड़ोसी के बारे में चिन्तित रहें। क्या आप अपने पड़ोसी को जानते है। – Mother Teresa Quotes
मदर टेरेसा मूलत एक रोमन कैथोलिक नन थी जिन्होंने गरीब, दीन-हीन, दुखियो, रोगियों और लाचारों की सेवा अर्थात् मावनता की सेवा के लिए साल 1948 में, स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता को स्वीकार किया था। ठीक दो साल बाद अर्थात् साल 1950 में, मदर टेरेसा ने, कलकत्ता में, Missionaries of Charity की स्थापना की थी।
अपने जीवन के 45 सालो तक मदर टेरेसा ने Missionaries of Charity में गरीबो, लाचारों, बिमारों, अनाथों, रोगियों और विशेषतौर पर कोढ़ पीड़ितो की सेवा की और साथ ही साथ मानवता की सेवा को ही जीवन का लक्ष्य बनाकर Missionaries of Charity का सर्वत्र प्रचार – प्रसार किया।
अकेलापन सबसे भयानक गरीबी है।- Mother Teresa Quotes
अन्त, उनके इसी उल्लेखनीय व प्रेरणादायी मावनतावादी कार्यो के लिए साल 1979 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार, साल 1980 में, भारत रत्न ( मृत्युपरान्त ) व अन्य कई सम्मानों से सम्मानित किया गया। ईश्वर की इस प्रतिमूर्ति ने 5 सितम्बर, 1997 को कलकत्ता, भारत में, अपनी आखिरी सांसे ली और अपने अनुयायियों को मानवता की सेवा का सतत उद्धेश्य सौंपकर स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर गई।
मानवता की इस देवी की मृत्यु के बाद पॉप जॉन पॉल द्धिवितीय ने उन्हें धन्य घोषित करते हुए उन्हें कोलकत्ता की धन्य की उपाधि से सम्मानित व पुरस्कृत किया।
Mother Teresa Biography In Hindi : मानवतावादी मदर टेरेसा का सम्पूर्ण जीवन परिचय
मदर टेरेसा के कल्याणकारी जीवन परिचय को आपके समक्ष प्रस्तुत करते हुए हम, बेहद हर्ष और उल्लास महसूस कर रहे हैं। उनके जीवन के सभी पहलूओं को समेट कर उनकी एक पूर्ण छवि प्रस्तुत करने के लिए हम, कुछ बिंदुओं की मदद लेंगे जो कि, इस प्रकार से हैं –
सादगी से जिये ताकि दूसरे भी जी सकें। – Mother Teresa Quotes
1. Mother Teresa Was Born In? / मदर टेरेसा का जन्म कहां, कब, किसके यहां हुआ?
मदर टेरेसा का जन्म उस्मान साम्राज्य के उस्कुब ( वर्तमान में, मेसेडोनिया के सोप्जे ) में 26 अगस्त, 1910 को निकोला बोयाजू ( पिता – पेशे से व्यापारी ) और द्राना बोयाजू ( माता ) नामक दम्पत्ति के घर पर हुआ था।
2. मदर टेरेसा का असली और पूरा नाम क्या था?
मानवता की सेवा करने वाली मदर टेरेसा का पूरा व वास्तविक नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू था और यहां हम, आपको बता दें कि, गोंझा शब्द का अल्बेनीयाई भाषा में, अर्थ फूल की कली होता है।
3. मदर टेरेसा का बचपन कैसा था?
हम, यहां पर आपको बताना चाहते हैं कि, आजीवन मानवता और दीन – हीन व दुखियों की सेवा करने वाले मदर टेरेसा का पूरा बचपन बेहद संघर्षमय रहा क्योंकि साल 1919 में, जब मदर टेरेसा मात्र 8 साल की थी तभी उनके पिता का देहान्त हो गया था।
पिता के देहान्त के बाद मदर टेरेसा समेत 5 भाई-बहनो के पालन – पोषण की पूरी जिम्मेदारी उनकी मात्रा अर्थात् द्राना बोयाजू पर आ गई जिसे उनकी माता ने, तमाम मुसीबतो को सहते हुए बखूबी निभाया। उनके पिता की मृत्यु के समय उनकी बड़ी बहन की आयु 7 साल और भाई 2 साल का था और बाकि दोनो बच्चे, बचपन के दौर से गुजर रहे थे।
4. मदर टेरेसा का व्यक्तित्व कैसा था?
मानवता की इस देवी का व्यक्तित्व अति सुन्दर और प्रेरणादायी था जिसका प्रमाण ये है कि, मदर टेरेसा बचपन से ही बेहद सुन्दर, सुशील, पढ़ाई – लिखाई में, अव्वल, संघर्ष और परिश्रम के मापदंडो पर खड़ी उतरने वाली युवती थी जिन्हें गीत गाना अति पसंद था और यही कारण था कि, मदर टेरेसा और उनकी बहन पास के चर्च / गिरजाघर मे, प्रमुख गायिकाओं में शामिल थी।
5. मदर टेरेसा को अपने भीतर मौजूद मावनता की सेवा करने का अहसास कब हुआ?
उपलब्ध जानकारीयों के अनुसार हम, कह सकते हैं कि, तब मदर टेरेसा केवल 12 साल की थी जब उन्हें अपने भीतर मानवता की सेवा करने का अहसास हुआ और उन्होंने मानवता की सेवा को ही अपने जीवन का प्रमुख और प्राथमिक लक्ष्य मान लिया था।
6. मदर टेरेसा सिस्टर्स ऑफ लोरेंटो में क्यूं शामिल हुई और उन्होंने अंग्रेजी क्यूं सीखी?
जैसा कि, हमने आपको बताया कि, केवल 12 साल की अल्पायु मे ही मदर टेरेसा ने, स्वयं को व अपने पूरे जीवन को मानवता की सेवा में, अर्पित करने का फैसला कर लिया था इसलिए मदर टेरेसा के लिए जरुरी था इसीलिए वे 18 साल की आयु में, सिस्टर्स ऑफ लोरेंटो में शामिल हुई जहां पर उन्हें नन के कर्तव्यो व दायित्वों की उच्च शिक्षा प्रदान की गई।
कई लोग पुछते है कि, मदर टेरेसा ने, अंग्रेजी क्यूं और कहां से सीखी तो हम, आपको बताना चाहते है कि मदर टेरेसा, सिसटर्स ऑफ लोरेंटो में, शामिल होने के बाद वे आयरलैंड चली गई थी अंग्रेजी सीखने के लिए क्योंकि मदर टेरेसा भारत मे, मानवता की सेवा करना चाहती थी और भारत मे, लोरेंटो की सिस्टर्स अंग्रेजी में ही शिक्षा प्रदान करती थी और इसी वजह से मदर टेरेसा ने, अंग्रेजी सीखी थी।
7. Is Mother Teresa a Sant? / क्या मदर टेरेसा एक संत थी?
मदर टेरेसा वास्तविक मायनो में, एक संत थी जिनकी मानव सेवा के लिए उन्हें रोमन कैथोलिक चर्च द्धारा मदर टेरेसा को कलकत्ता की संत टेरेसा की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
उपरोक्त सभी बिंदुओ की मदद से हमने अपने सभी पाठको व युवाओं को मदर टेरेसा के व्यक्तिगत अर्थात् निजी जीवन की जानकारी प्रदान की।
मदर टेरेसा का मानवीय परोपकार वाला जीवन परिचय कैसा था?
इस लेख मे, हम, मदर टेरेसा के परोपकारी व्यक्तित्व को उजागर करने के लिए कुछ बिंदुओं की मदद लेंगे जो कि, इस प्रकार से हैं –
हम, ईश्वर के हाथ मे, एक कलम के समान हैं। – Mother Teresa Quotes
1. मदर टेरेसा मानवता की सेवा करने के लिए भारत कब पहुंची?
मदर टेरेसा के आजीवन मानवता के सेवा का संकल्प लेने के बाद मदर टेरेसा ने, आयरलैंड से अंग्रेजी की शिक्षा प्राप्त करके भारत का रुख किया और 6 जनवरी, 1929 को भारत के कोलकत्ता में आकर लोरेन्ट कोन्वेंट पहुंची।
2. लोरेन्ट कोन्वेट में, मदर टेरेसा की शिक्षा व अनुभव कैसे रहा?
जैसा कि, हमने शुरु में, ही आपको बताया कि, मदर टेरेसा बचपन से ही सुन्दर, सुशील, परिश्रमी और पढ़ाई-लिखाई में, अव्वल थी और इसीलिए लोरेंटो कोन्वेंट आने के बाद उन्होंने अपनी शिक्षा के प्रति खुद को समर्पित कर दिया जिसके परिणामस्वरुप उन्हें 1944 में, हेड मिस्ट्रेस बना दिया गया था।
लेकिन कक्षा की खिड़की से बाहद देखने पर मदर टेरेसा को कोलकत्ता के गरीब, दीन – हीन, बीमार, लाचार, कोढ़ से पीड़ित लोग, भूखमरी, बेरोजगारी और गंदगी देखने को मिलता था जिससे उनका पूरा मन विचलित हो जाता था।
वहीं दूसरी तरफ साल 1943 मे, आये अकाल ने, जहां एक तरफ कलकत्तावासियों को भूख से मार डाला वहीं दूसरी और 1947 में, हुए हिंदू – मुस्लिम दंगो ने, कलकत्ता को बुरी तरह से घायल कर दिया था जिसका मदर टेरेसा पर बेहद विपरित प्रभाव पड़ा था।
3. What did Mother Teresa Do? / मदर टेरेसा क्या करती थी?
मदर टेरेसा अपने शिक्षा ग्रहण के साथ – साथ कलकत्ता के सभी रोगियों, बीमारों, कोढ़ से पीड़ितो, दीन – हीनो और लाचार व गरीब भूखें – नंगे बच्चो की सेवा करती थी।
4. मदर टेरेसा ने, पूरे जीवन सेवा का संकल्प कैसे लिया?
मदर टेरेसा को वैसे तो 12 साल की आयु मे ही ये अहसास हो गा था कि, वे उनका पूरा जीवन मानवता और मानव कल्याण को समर्पित है लेकिन मूल और वास्तविक तौर पर मदर टेरेसा ने, आजीवन मानव सेवा करने का संकल्प लिया था
साल 1981 में, मदर टेरेसा ने, किसी बात पर नाराज़ होकर आवेश में आकर अपना नाम टेरेसा रख लिया था और आजीवन मानवता की सेवा का संकल्प ले लिया था जिसका जिक्र खुद उन्होंने किया है वे लिखती है कि, “ वह 10 सितम्बर, 1940 का दिन था जब मैं, अपने वार्षिक अवकाश पर दार्जिलिंग जा रही थी। उसी समय मेरी अन्तरआत्मा से आवाज़ उठी थी कि मुझे सब कुछ त्याग कर देना चाहिए और अपना जीवन ईश्वर एंव दरिद्र नारायण की सेवा कर के कंगाल के तन को समर्पित कर देना चाहिए। ”
5. मदर टेरेसा को कैसे मिली Missionaries of Charity की स्थापना की स्वीकृति?
अपने आजीवन मानव सेवा के संकल्प के फलस्वरुप मदर टेरेसा ने, लोरेंटो कोन्वेट छोड़ दिया क्योंकि लोरेन्टो कोन्वेंट उन्हें खुल तौर पर मानवता की सेवा करने से रोकता था। इसके बाद मदर टेरेसा ने, पुलिस की मदद से मंदिर में हॉल-नुमा आकार का कमरा मानव सेवा के लिए ले लिया।
इसके बाद मदर टेरेसा ने, कलकत्ता के सभी रोगियों, बीमारों, कोढ़ से पीड़ितो, दीन – हीनो और लाचार व गरीब भूखें – नंगे बच्चो की सेवा करने लगी और उनकी इसी सेवा के फलस्वरुप मदर टेरेसा को 7 अक्टूबर, 1950 वैटिकन से Missionaries of Charity की स्थापना की स्वीकृति मिल गई।
6. Missionaries of Charity में, कैसे होती थी मानवता की सेवा?
मदर टेरेसा द्धारा Missionaries of Charity की स्थापना केवल 13 लोगो की मदद से की गई थी जिसमें मानवता के सेवा का स्तर बेहद उच्च था क्योंकि यहां पर मानवता की सेवा समभाव, सद्भभाव, अपनेपन और साथ ही साथ ईश्वर पर विश्वास की भावना से किया जाता था अर्थात् सभी रोगियों की सेवा अपनी संतान के तौर पर की जाती थी।
इस Missionaries of Charity की सफलता का प्रमाण ये रहा कि, इस संस्था को केवल मदर टेरेसा समेत 13 लोगो द्धारा शुरु किया गया था जिसमें लाचार, कोढ़ पीड़ित, बीमारी, विकलांग, एड्स रोगी और गरीबो लोगो की सेवा की जाती थी और जिस समय मदर टेरेसा की मृत्यु हुई इस समय इस संस्था में, कुल 4,000 लोग मानवता की सेवा किया करते थे।
7. मदर टेरेसा ने, कौन से आश्रम खोले थे और उनका मौलिक लक्ष्य क्या था?
हम, आपको बता दें कि, Missionaries of Charity की मदद से मानवता की सफल सेवा से प्रेरित होकर मदर टेरेसा ने, दो आश्रमो की स्थापना की थी जिनका नाम इस प्रकार से हैं – निर्मल ह्रदय व निर्मला शिशु भवन।
- निर्मल ह्रदय का मौलिक लक्ष्य था गरीबो, दुसाध्य और घातक बीमारियों से ग्रसित उन लोगो की सेवा करना जिन्हें समाज ने, ठुकरा दिया है,
- निर्मला शिशु भवन की स्थापना का मौलिक लक्ष्य ये था कि अनाथ, बेसहारा, बेघर और गंदगी में, जीवन बिता रहे बच्चो का पालन – पोषण करना और उनके उज्जवल भविष्य का निर्माण करना।
मदर टेरेसा ने, अपने इन दोनो आश्रमो की मदद से एक तरफ घातक बिमारीयों से पीड़ितो लोगो की सेवा की तो वहीं दूसरी ओर अनाथ बच्चो को सहारा देकर उनका पालन पोषण किया और उनके उज्जवल भविष्य का निर्माण भी किया।
8. मानवता की इस सेविका को भी झेलने पड़े थे विवाद के पत्थर?
इसमें कोई दो राय नहीं है कि, आप बुरा करें तो समाज आपको रोकता है लेकिन आप अच्छा भी करें तो बई समाज आपको रोकता है और यही हुआ था मदर टेरेसा के साथ जिसकी वजह से उन्हें भी विवाद नामक पत्थरों का सामना करना पड़ा था।
मदर टेरेसा पर भारत में, धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया गया था और भी कई रुकावटें पैदा की गई थी लेकिन मदर टेरेसा ने हार नहीं मानी और सच्ची लगन से मानवता की सेवा की।
9. मदर टेरेसा की मृत्यु कैसे हुई थी?
मानवता की इस सेविका की मृत्यु की भरपाई किसी भी कीमत पर नहीं हो सकती है। मदर टेरेसा की मृत्यु से संबंधित सभी घटनायें इस प्रकार से हैं –
- मदर टेरेसा को लम्बे समय से दिल व गुर्दो में, बीमारी की शिकायत थी,
- मदर टेरेसा को रोम में, पॉप जॉन पॉल द्धिवितीय से भेंट के समय साल 1983 में, पहला दिल का दौरा पड़ा था,
- मदर टेरेसा को दूसरा दिल का दौरा साल 1989 में, आया था,
- साल 1997 में, उनकी तबीयत बेहद नाजुक हो गई थी जिसकी वजह से भविष्य का आभास पाते हुए उन्होंने अपना पद छोड़ दिया था जिसे बाद में, सिस्टर मैरी निर्मला जोशी को सौंपा गया और
- अन्त में, 5 सितम्बर, 1997 को मदर टेरेसा की मृत्यु हो गई।
उपरोक्त बिंदुओं की मदद से हमने अपने सभी पाठको व युवाओं को मदर टेरेसा की मृत्यु से संबंधित सभी घटनायें बिंदुवार ढंग से प्रस्तुत किया।
उपरोक्त सभी बिंदुओ की मदद से हमने अपने सभी पाठको को मानवता की इस सेविका का पूरा मानव – कल्याणकारी जीवन परिचय प्रस्तुत किया जिससे ना केवल आप प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं बल्कि मानव कल्याण में, अपना योगदान भी दे सकते हैं।
मानवतावादी मदर टेरेसा को किन सम्मानों से सम्मानित किया गया?
नर सेवा – नारायण सेवा के सिद्धान्त पर चलने वाली प्रमुख मानवतावादी मदर टेरेसा को उनके अभूतपूर्व मानव कल्याण के लिए कई सम्मानों व पुरस्कारों से सम्मानित किया गया जिनकी पूरी सूची इस प्रकार से हैं –
खूबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते लेकिन अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत होते है। – Mother Teresa Quotes
- भारत सरकार द्धारा मदर टेरेसा को साल 1962 में, उनके मानव कल्याण के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया,
- मानव सेवा और समाज कल्याण के उनके अभूतपूर्व योगदान को देखते हुए उन्हें भारत सरकार द्धारा साल 1980 में मदर टेरेसा को मृत्योपरान्त भारत के सर्वोच्च सम्मान अर्थात् भारत रत्न से सम्मानित किया गया,
- अमेरिकी सरकार द्धारा उन्हें साल 1985 में, Medal of Freedom Award से सम्मानित किया गया,
- हमारे कई पाठको का सवाल है कि, Mother Teresa Noble Prize? / मदर टेरेसा को नोबेल पुरस्कार कब और कैसे मिला? तो उसके जबाव देते हुए हम, आपको बताना चाहते है कि गरीबो, असहायों, बिमारो, कोढ़ व एड्स से पीडितो व लाचारो की सेवा के लिए मदर टेरेसा को साल 1979 में, नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया और
- अन्त में, साल 2003 में, पॉप जॉन पॉल द्धिवितीय द्धारा मदर टेरेसा को धन्य कहते हुए उन्हें कलकत्ता के धन्य की उपाधि से विभूषित किया गया आदि।
उपरोक्त सभी बिंदुओं की मदद से हमने आपको मदर टेरेसा द्धारा अर्जित पुरस्कारों, उपाधियों व सम्मानों की गौरवपूर्ण विस्तृत सूची के बारे में, बताया।
सारांश:
दया और प्रेम से भरे शब्द छोटे हो सकते है लेकिन वास्तव में, उनकी गूंज अन्नत होती है। – Mother Teresa Quotes
नर सेवा – नारायण सेवा का एकमात्र सिद्धान्त ही सच्ची मानवता का मूल मंत्र है और इसी मूल मंत्र को अपनाकर मानवता की सेवा का बीड़ा मदर टेरेसा ने, उठाया था जिसे उन्होंने बखूबी निभाया और उन्हें के सम्मान में, हमने अपने इस लेख में, आपको Mother Teresa Biography In Hindi : मानवतावादी मदर टेरेसा का सम्पूर्ण जीवन परिचय के बारे में, बताया ताकि आप भी उनके प्रेरणा व प्रोत्साहन लेकर मानव कार्य करके मानवता की सेवा कर सकें।
अन्त, हमें पूरी आशा है कि, आप हमारे इस लेख को पंसद करके लाइक करेंगे, शेयर करेंगे और साथ ही साथ अपने विचार और सुझाव कमेंट करके हमें बतायेगें।
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