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Mary kom Biography In Hindi: मेरी कोम का सम्पूर्ण जीवन परिचय हिंदी में
कहा जाता है यदि जीवन में संघर्ष ही नही हो तो किसी के भी जीवन की सफलता का कोई ख़ास महत्व नही रह जाता है। क्योकि बगैर कठिन परिश्रम किये आप अपने उच्चतम स्तर तक नही जा सकते हो। इस दुनिया में भी ऐसे कुछ ही लोग मौजूद है जिन्होंने अपने संघर्ष से अपने सम्पूर्ण जीवन की कायापलट ही कर दी है।
यह सफलतम व्यक्ति गरीब से गरीब घर में पैदा होते है और साधारण सी परिस्थितियों में से निकलते हुए अपने संघर्ष और जीवन में कुछ बड़ा कर दिखाने के अटूट जज्बे के साथ वह जीवन में सफल हो जाते है। हम जिस भारतीय समाज में रहते है यहा पुरुषो को स्वयम के अधिकार से अपने कामो को करने की पूरी पूरी आजादी प्राप्त है। लेकिन जब बात महिलाओ की आती है, तब हमारे समाज में उनके अधिकारों को सीमित कर दिया जाता है।
जिससे की वह महिला अथवा बेटी जो जीवन में बहुत कुछ कर सकती थी। समाज के व्यर्थ नियमो और अनैच्छिक बन्धनों के चलते अपने जीवन में चूल्हे चौके के अलावा कुछ कर ही नही पाती है। लेकिन आज हम जी सफल महिला के बार में आपको बताने जा रहे है। उन्होंने एक गरीब किसान के घर जन्म लिए और बहुत ही विपरीत परिस्थितियों में अपने जीवन की शुरुआत की थी। उन्होंने अपने मजबूत हौसले और कड़ी मेहनत से समाज के खोखले नियमो को तोड़ते हुए अपने जीवन में बेहतरीन सफलता हासिल की है। जीवन में जितना कठिन संघर्ष और मेहनत होगी, उतनी ही शानदार जी भी होगी।
1 | Name | Mangte Chungneijang Mary Kom |
2 | Age | 38 years, ( 1 March, 1983 ) |
3 | Education | Loktak Christian Model High School, Manipur University. |
4 | Profession | Indian amateur boxer, |
5 | Networth | 7 Crore ( $ 1 Million ) |
6 | Family | Husband: K Onler Kom, Children: Prince Chungthanglen Kom, Khupneivar Kom, Rechungvar Kom |
7 | Achievements | Rajiv Gandhi Khel Ratna, Padma Vibhushan, |
8 | Religion / Nationality | Christianity / Indian |
9 | Known As | Boxer, Politician, and Incumbent Member of Parliament, Rajya Sabha |
यह बात मेरी कोम के जीवन के लिए बिलकुल सही साबित होती है। जी हां हम बात कर रहे है विश्वप्रसिद्ध महिला मुक्केबाज मेरी कोम जी की, जिन्होंने मुक्केबाजी के क्षेत्र में अपना और अपने देश का बहुत नाम किया और गौरव प्राप्त किया।
वर्तमान में मेरी कोम हमारे देश की करोडो बेटियों और महिलाओ के लिए बेहतरीन आदर्श है। जिन्हें बेटियों और महिलाओ को समाज की बंदिशों में बांध दिया जाता है और जिनके जीवन सिर्फ समाज के खोखले और कमजोर नियमो पर आज भी चलाये जाते है। आज हम Mary kom Biography In Hindi में तथा मेरी कोम का सम्पूर्ण जीवन परिचय को हिंदी में जानेंगे।
Mary Kom का बचपन:
मेरी कोम जिन्होंने भारत के साथ साथ पूरे विश्व में अपनी मुक्केबाजी और सफलता का परचम लहराया है। मेरी कोम का जन्म 1 मार्च, साल 1983 में मणिपुर राज्य के एक छोटे से गाव में हुआ था। मेरी कोम का जन्म एक बेहद ही गरीब किसान परिवार में हुआ था।
मेरी कोम का बचपन का पूरा नाम Mangte Chungneijang Mary Kom था। उनके पिता का नाम Tonpa Kom था। जो की एक गरीब किसान थे, तथा मेरी कोम की माँ का नाम Akham Kom था। मेरी कोम के परिवार में उनके अलावा उनका एक छोटा भाई तथा एक बहन भी है। चूँकि मेरी को हमारे देश के मणिपुर राज्य में हुआ था, जो की इतने अधिक विकसित राज्यों की श्रेणी में नही आता है। इसलिए मेरी कोम के बचपन से ही उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी।
Mary Kom की शिक्षा:
चूँकि मेरी को परिवार के आर्थिक हालात भी कुछ खास अच्छे नही थे, इसलिए मेरी कोम ने अपनी शुरूआती पढाई Loktak Christian Model School से की थी। इसके बाद मेरी कोम हाई स्कूल की पढाई के लिए मेरी को इफाल शहर चली गयी थी। यहा इम्फाल में उन्होंने Adimjati School में उन्होंने अपनी आगे की पढाई करने के लिए दाखिला लिया था, दुर्भाग्य से मेरी कोम पढाई में ज्यादा अच्छी नही थी।
इसलिए अपनी हाई स्कूल की परीक्षा मेरी कोम पास नही कर सकी थी। हाई स्कूल की परीक्षा में फैल हो जाने के बाद ही मेरी कोम ने स्कूल छोड़ देने का मन बना लिया था। इसके बाद मेरी कोम ने आगे चलकर NATIONAL INSTITUTE OF OPEN SCHOOLING से मेरी कोम ने हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी। चलिए अब हम बात करते है की मेरी कोम का आगे का शुरूआती जीवन किस प्रकार से रहा था।
Mary Kom का शुरूआती संघर्ष भरा जीवन:
चूँकि मेरी कोम के परिवार की आर्थिक हालत ज्यादा बेहतर नही थी। इसलिए मेरी कोम ने भी अपने घर का सहयोग करने के लिए घर के काम करने शुरू कर दिए थे। क्योकि उस समय लडकियों को समाज में बाहर कुछ भी करने की इतनी अधिक आजादी मिलती ही नही थी। इसलिए मेरी कोम ने अपने परिवार का सहयोग करने के लिए उन्ही के यहा काम किया है और घर के कामो में अपनी माँ का हाथ बताने लगी थी।
चूँकि मेरी कोम का परिवार भारत के पूर्वी राज्य मणिपुर में हुआ था। जहा अधिकतर लोग या तो खेती करते है या फिर दुसरो के खेतो में मजदूरी से काम करते है। उस समय इस राज्य में शिक्षा का स्तर भी कुछ ख़ास बेहतर नही था, लेकिन वर्तमान में मणिपुर और पूर्वी राज्यों के शिक्षा के स्तर में काफी सुधार हो चुके है। मेरी कोम ने भी अपने शुरूआती जीवन मेर काफी संघर्ष किया था, मेरी कोम को बचपन से ही खेल कूद में काफी अधिक रूचि थी। लेकिन मेरी कोम ने कभी भी मुक्केबाजी में अपना करियर बनाने का नही सोचा था। चलिए अब हम जानते है की किस तरह से मेरी कोम ने अपने जीवन में संघर्ष करते हुए मुक्केबाजी में अपना करियर बनाने का सोचा था।
Mary Kom की मुक्केबाजी में रूचि:
देखा जाए तो मेरी कोम को बचपन से ही खेल कूद में काफी रूचि थी। वह अपने स्कूल के दिनों में भी सभी खेलो में काफी अच्छा खेलती थी। परन्तु उन्होंने कभी भी मुक्केबाजी को अपना करियर बनाने का नही सोचा था। क्योकि मेरी कोम तथा उनका परिवार जिस क्षेत्र में रहते थे। उस जगह पर महिलाओ को कुछ भी अलग करने के अधिकार प्राप्त नही थे। उन्हें बॉक्सिंग में करियर बनाने की प्रेरणा उनके ही राज्य के एक बोक्सर से मिली थी। साल 1988 में उनके राज्य के ही बोक्सर की सफलता को देखते हुए , मेरी कोम को भी बॉक्सिंग के क्षेत्र में अपना करियर बनाने की प्रेरणा मिली थी।
इसी के साथ मेरी कोम को मुक्केबाजी के लिए एक और घटना से बहुत अधिक प्रेरणा मिली थी और वह घटना इस प्रकार थी की। जब मेरी कोम ने खुमान लम्पक स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में कुछ उन्ही के जैसी दिखने वाली लडकियों को बॉक्सिंग रिंग में लडको के साथ बाक्सिंग का अभ्यास करते हुए देखा था। बस इसी सकारात्मक घटना ने उनके दिमाग में बॉक्सिंग के लिए गहरी रूचि जागृत हो चुकी थी। उस समय जब मेरी कोम ने उन लडकियों को बॉक्सिंग रिंग में बॉक्सिंग करते हुए देखा तब मेरी को कहती है की ” मेने जब वह अद्भुद नजारा देखा तब में स्तब्ध रह गयी थी, मुझे स्पष्ट रूप से लगा की जब मेरे जैसी ही दिखने वाली लडकिय बॉक्सिंग कर सकती है तो में भला बॉक्सिंग क्यों नही कर सकती। ”
बस फिर क्या था उसके बाद मात्र 15 वर्ष की उम्र में ही मेरी कोम ने ठान लिया की अब उन्हें बॉक्सिंग के क्षेत्र में ही अपना करियर बनाना है। बॉक्सिंग में अपना करियर बनाने के लिए मेरी कोम ने बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेने के लिए अपने शहर की एक स्पोर्ट्स एकेडमी में बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया था। भले ही मेरी कोम यहा स्पोर्ट्स एकेडमी में बॉक्सिंग की ट्रेनिंग ले रही थी।
लेकिन उन्होंने इस बात की कानो कान खबर अपने घरवालो को नही होने दी थी। क्योकि वह जिस समाज में रहती थी उस समाज में लडकियों को खेल कूद में जाने नही दिया जा है और न ही उन्हें बॉक्सिंग जैसे खेल को खेलने दिया जाता है। जिस खेल में चेहरे पर चोट लगने का खतरा होता है, मेरी कोम के पिता नही चाहते थे कि वो बॉक्सिंग जैसे खेल को खेले क्योकि इस खेल में चेहरे पर चोट लगने का खतरा होता है। जिस वजह से कोई उस लड़की से शादी नही करना चाहता है। जिसके चेहरे पर चोट लगी हो, यही कारण था जिस वजह से उनका परिवार शुरुआत में मेरी कोम को सपोर्ट नही करता था।
इसके बाद जब मेरी कोम ने बॉक्सिंग में कड़ी मेहनत करते हुए तथा बेहतरीन खेल दिखाते हुए साल 2000 में स्टेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप में बेहतरीन जीत दर्ज करते हुए चैंपियनशिप अपने नाम की थी। जिसके बाद मेरी कोम की उस उपलब्धि और उनके नाम को अखबारों और टीवी चैनलों पर दिखाया जाने लगा था। इस उपलब्धि के बाद मेरी कोम के परिवार को बॉक्सिंग के प्रति उनकी लगन और मेहनत के उपर पूरा भरोसा हो गया था। उन्होंने मेरी कोम को आगे खेलने के लिए पूरा सहयोग भी किया था।
Mary Kom का निजी जीवन:
यदि हम बात करे मेरी कोम के निजी जीवन की तब चूँकि मेरी कोम बॉक्सिंग के क्षेत्र में अपनी सफलता से वह नये नये मुकाम हासिल कर रही थी। जिसके बाद साल 2005 में मेरी कोम की शादी ओंलार कोम से हुई थी। शादी हो जाने के बाद भी मेरी कोम के पति ने बॉक्सिंग के खेल में पूरा सहयोग किया था। मेरी कोम के तीन बच्चे भी है, जिनमे से उनके दो जुड़वाँ बेटे भी है।
Mary Kom के जीवन में सफलता:
ट्रेनिंग करते हुए कड़ी मेहनत और खुद पर बेहतर विश्वास ही था जिसके बलबूते पर मेरी कोम ने महिला मुक्केबाजी में सफलता प्राप्त की थी। उन्होंने कड़ी मेहनत करते हुए निरंतर अपने खेल को सुधार और शुरूआती असफलातो से न रुकते हुए बस आगे ही बढती चली गयी थी। चूँकि मेरी कोम ने साल 2000 में स्टेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप में जीत दर्ज की थी। उसके बाद बॉक्सिंग के खेल में मेरी कोम की कड़ी मेहनत पूरे विश्व स्तर पर भी साफ़ दिखाई दे रही थी।
जिसके बाद उन्होंने साल 2001 AIBA WOMEN’S WORLD CHAMPIONSHIP में बेहतरीन खेल दिखाते हुए सिल्वर मैडल अपने नाम किया। जैसे जैसे मेरी कोम बॉक्सिंग की बारीकिया सीखती चली गयी उसी के साथ साथ मेरी कोम का खेल बॉक्सिंग में और भी बेहतर होता चला गया था। चलिए हम देखते है की मेरी कोम ने अपने बेहतरीन बॉक्सिंग करियर में सफलता कौन कौन सी सफलता हासिल की है।
- साल 2001 में AIBA WOMEN’S WORLD CHAMPIONSHIP में मेरी कोम अच्छा प्रदर्शन करते हुए सिल्वर मैडल अपने नाम किया था।
- अनुभव बढ़ने के बाद ही मेरी कोम ने साल 2002 में इसी चैंपियनशिप में बेहतरीन खेल दिखाते हुए GOLD MADEL अपने नाम किया था।
शादी के बाद भी मेरी कोम के पति ने बेक्सिंग के खेल में उनका पूरा सहयोग किया और उन्हें हमेशा ही देश के लिए खेलने के लिए प्रेरित करते थे। सभी के सहयोग से मेरी कोम ने अपने करियर का बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए वर्ल्ड चैंपियनशिप में अलग अलग जगहों पर GOLD MADEL जीतकर बॉक्सिंग के खेल में इतिहास ही रच दिया था।
- मेरी कोम ने साल 2002 में Antalya में WORLD CHAMPIONSHIP में GOLD MADEL के साथ जीत दर्ज की।
- इसके बाद मेरी कोम ने साल 2005 में Podolsk में WORLD CHAMPIONSHIP में GOLD MADEL हासिल किया।
- मेरी कोम ने तीसरा GOLD MADEL साल 2006 में NEW DELHI में WORLD CHAMPIONSHIP में बेहतरीन खेल दिखाते हुए प्राप्त किया।
- साल 2008 में मेरी कोम ने WORLD CHAMPIONSHIP में अपने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए Ningbo City में GOLD MADEL अपने अपने नाम किया।
- साल 2010 में Bridgetown में WORLD CHAMPIONSHIP में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए GOLD MADEL हासिल किया।
- इसके बाद मेरी कोम ने साल 2018 के WORLD CHAMPIONSHIP में NEW DELHI में GOLD MADEL के साथ जीत दर्ज की।
आप मेरी कोम का बॉक्सिंग के खेल में प्रति जूनून का अंदाजा इस बात से ही लगा सकते है। की मेरी कोम ने तीन बच्चो की माँ होते हुए भी मेरी कोम ने बॉक्सिंग के खेल में अलग अलग जगहों पर छः गोल्ड मैडल जीतकर इतिहास रच दिया है। इसी के साथ मेरी कोम ने अपने बेहतरीन खेल से बहुत सी बॉक्सिंग प्रतियोगिताओ में जीत दर्ज की है और मेरी कोम ने बॉक्सिंग में अपने खेल का लोग सभी से मनवाया है।
- मेरी कोम ने साल 2012 में लन्दन ओलम्पिक में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए ब्रोंज मैडल अपने नाम किया।
- साल 2014 में मेरी कोम ने एशियन गेम्स में सर्वश्रेष्ठ खेल दिखाते हुए गोल्ड मैडल हासिल किया।
- मेरी कोम ने साल 2010 में एशियन गेम्स में ब्रोंज मैडल अपने नाम किया।
एशियन चैंपियनशिप:
- मेरी कोम ने साल 2003 में हिसार में बेहतरीन खेल दिखाते हुए गोल्ड मैडल अपने नाम किया।
- साल 2005 में मेरी कोम ने kaohsiung में गोल्ड मैडल अपने नाम किया था।
- मेरी कोम ने साल 2010 में Astana में बेहतरीन खेल दिखाते हुए गोल्ड मैडल हासिल किया।
- साल 2012 में Ulaanbaatar में मेरी कोम ने गोल्ड मैडल हासिल किया था।
- इसके बाद साल 2017 में मेरी कोम ने Ho Chi Minh City में गोल्ड मैडल अपने नाम किया था।
- इसी के साथ साथ मेरी कोम ने साल 2009 में हनोई में गोल्ड मैडल अपने नाम किया था।
- मेरी कोम ने साल 2008 में गुवाहाटी में सिल्वर मैडल हासिल किया था।
- मेरी कोम ने साला 2018 के कामनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मैडल हासिल किया था।
अवार्ड्स तथा सम्मान:
मेरी कोम के बेहतरीन खेल के लिए 25 अप्रैल साल 2016 में राष्ट्रपति द्वारा मेरी कोम का नामा राज्यसभा के मेंबर के लिए नोमिनेट भी किया था। इसी के साथ मेरी कोम को उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए कई सारे अवार्ड्स भी मिले है जो इस प्रकार से है।
- बॉक्सिंग के खेल में देश का नाम रौशन करने के लिए मेरी कोम को 2003 में भारत सरकार द्वारा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
- महिला मुक्केबाजी में अपने बेहतरीन प्रदर्शन के लिए मेरी कोम को साल 2006 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चूका है।
- मेरी कोम को बॉक्सिंग के खेल में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए जुलाई 2009 में सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चूका है।
- साल 2014 में मेरी कोम के जीवन पर एक बेहतरीन फ़िल्म भी बनी है, इस फ़िल्म में प्रियंका चोपड़ा ने मेरी कोम का किरदार निभाया है।
मेरी कोम ने जिस तरह के संघर्षपूर्ण जीवन से अपनी शुरुआत करते हुए। अपना और भारत का नाम महिला मुक्केबाजी में रौशन किया है। वो काबिले तारीफ है और इतनी बड़ी सफलता के लिए मेरी कोम को कितने ही अवार्ड्स और सम्मान प्रदान किये जाये वो उनके खेल के प्रति कड़ी मेहनत के आगे कम लगते है।
निष्कर्ष:
जिस तरह मेरी कोम ने अपने जीवन की शुरुआत एक गरीब किसान के यहा से की थी और आज वो हमारे देश की करोडो महिलाओ की आदर्श है। मेरी कोम ने अपने खेल के प्रति कड़ी मेहनत और जूनून से हमारे देश का बहुत नाम रौशन किया है। हमें मेरी कोम के जीवन से यह सीखना चाहिए की किस तरह से सीमित संसाधनों के साथ भी हम अपने जीवन में अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते है और जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते है।
इसके लिए हमारे भीतर अपने काम के लिए बेहतरीन जूनून और कड़ी मेहनत करने का जज्बा होना चाहिए। हमे उम्मीद है की आपको यह आर्टिकल Mary kom Biography In Hindi तथा मेरी कोम का जीवन परिचय पर यह बेहतरीन आर्टिकल अवश्य ही पसंद आया होगा। हमें विश्वास है की आपने मेरी कोम के जीवन से अवश्य ही कोई न कोई सकारात्मक बात सीखी होगी।
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