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Kumar Vishwas Quotes And Shayari in Hindi: कुमार विश्वास के विचार और शायरी हिंदी में
Kumar Vishwas Quotes And Shayari in Hindi:- भारत के अनेक लेखकों में एक नाम कुमार विश्वास का भी है। इन्होने कवि और राजनीति दोनों क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। अभी कुमार विश्वास राजनीति से दूर है। लेखन में विश्वभर में अपनी एक ख़ास पहचान बनाई है। भारत के अच्छे लेखकों में से एक कुमार विश्वास का जीवन बहुत ही रोचक एंव प्रेरणादायक रहा है।
अभी तक के उनके जीवन में उन्होंने अनेक ऐसी कवितायेँ, शायरियां एंव कहानियाँ-गीत लिखे है जिन्हें पढने के बाद एक नई उर्जा का संचार होता है। आज हम इस आर्टिकल में कुमार विश्वास के जीवन एंव उनके लिखे विचार एंव शायरियां बताने वाले है।
कुमार विश्वास का जीवन|Kumar Vishwas Quotes And Shayari in Hindi
कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी 1970 पिलखुआ, गाजियाबाद, उत्तरप्रदेश में हुआ। कुमार विश्वास के पिता चन्द्रपाल शर्मा आर.एस.एस डिग्री कॉलेज के प्रवक्ता रहे है। कुमार की माता जी श्रीमती रमा शर्मा गृहणी है। कुमार अपने परिवार में सबसे छोटे सदस्य है। उन्होंने अपनी शुरुआती पढाई पिलखुआ के लाल गंगा सहाय स्कूल से की, उसके बाद उन्होंने 12वीं राजपुताना रेजिमेंट के इंटर स्कूल से किया।
पिता बनाना चाहते थे इंजिनियर:- Engineer Wanted to Make Father
कुमार विशवास के पिता चन्द्रपाल शर्मा उन्हें इंजिनियर बनाना चाहते थे पर कुमार को मशीनों से नहीं शब्दों से प्यार था और यही वजह थी की उन्होंने इंजीनियरिंग छोड़ साहित्य में अपना करियर बनाना चाहा। उन्होंने हिंदी साहित्य में स्नातकता पूरी की और उसके बाद कौरवीलोकचेतना’ में महारत हासिल की और इसके लिए उन्हें स्वर्णपदक भी मिला है।
करियर की शुरुआत:- Starting of Career
पिता से लड़-झगड़कर उन्होंने हिंदी में अपना करियर बनाने की सोची और अपने पिता की तरह वह भी शिक्षक के रूप में कार्य करने लगे। उन्होंने 1994 में राजस्थान के एक विश्विद्यालय में हिंदी के शिक्षक के रूप में कार्य किया। यहाँ उन्होंने अपनी कविताओं का पाठ करना शुरू किया और बहुत ही कम समय में कुमार को पहचान मिली शुरू हो गई।
कुमार उन दिनों का किस्सा सुनाते हुए कहते हैं की ‘जब भी मैं कविता पाठ के लिए कहीं जाता तो किराया बचाने के लिए ट्रक इत्यादि से लिफ्ट लेकर जाता था’। आज कुमार एक ब्रांड की तरह काम कर रहे है और एक ही शो के लाखों रूपए चार्ज करते हैं। कुमार विश्वास ने भारत एंव दुनिया के अनेक देशों में कविता पाठ किया है। कुमार विश्वास अनेक पत्रिकाओं में लिखते हैं एंव उनकी 2 किताबें भी प्रकाशित हो गई है।
कुमार विश्वास का राजनैतिक करियर:- Kumar Vishwas’s Political Career
अन्ना हजारे जनलोकपाल बिल के लिए आन्दोलन कर रहे थे उस समय 2011 में कुमार विश्वास भी उनके साथ थे। यहाँ पर उन्होंने अरविन्द केजरीवाल से मिलकर 2012 में आम आदमी पार्टी का गठन किया।
वे आम आदमी पार्टी की तरफ से लोकसभा चुनाव में राहुल गाँधी के खिलाफ चुनवा लड़ा यहाँ पर उन्हें बहुत ही कम वोटों से हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद अरविन्द केजरीवाल के साथ कुछ मतभेदों के चलते उन्होंने आम आदमी पार्टी की सदस्यता भी छोड़ दी है।
कुमार विश्वास की उपलब्धियां:- Achievements of Kumar Vishwas
कुमार विश्वास को 4 पुरस्करों से भी सम्मानित किया गया है।
- 1994 में उन्हें ‘काव्य कुमार पुरस्कार’ दिया गया
- 2004 में ‘डॉ. सुमन अलंकरण’ से सम्मानित किया गया।
- 2006 में साहित्य श्री पुरस्कार दिया गया।
- 2010 में डॉ. उर्मिलेश गीत श्री’ सम्मान दिया गया।
कुमार विश्वास के विचार:- Thoughts of Kumar Vishwas
कुमार विश्वास के कुछ विचार जिंदगी में बहुत कुछ सीखने एंव जिंदगी को फिर से उर्जावान बनाने में काम आते है। उनके कुछ विचार हम यहाँ लिख रहे हैं। यह विचार आपको एक नई चेतना देने का काम करेंगे और आपको एनर्जी से भरपूर बना देंगे।
- अँधेरे से लड़ने का मन बना लिया जाए तो एक जुगनू ही काफी है।
- स्वंय को प्रकाशमान बनाना स्वंय के हाथ में है।
- स्वार्थी होना जरूरी है पर अपने लिए।
- उम्मीदें हमेशा बड़ी रखनी चाहिए, पर उनमे लालच नहीं होना चाहिए।
- कुछ लोग बड़े दिखते है पर होते नहीं।
- युद्ध में गुणगान उसका होता है जो स्वंय के दम पर युद्ध लड़ता है, इसमें फर्क नहीं पड़ता की वह हारता है या जीतता।
कुमार विश्वास द्वारा लिखी शायरियां:- Poets Written by Kumar Vishwas
“पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ वोहा पे फिर अधिकार क्या करना
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है
ग़ैर मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।” – Kumar Vishwas Quotes
“स्वंय से दूर हो तुम भी, स्वंय से दूर है हम भी
बहुत प्रसिद्ध हो तुम भी, बहुत प्रसिद्ध हो हम भी
बड़े मगरूर हो तुम भी, बड़े मगरूर हो हम भी
अतः मजबूर हो तुम भी, अतः अनुपालन है हम भी।”
“नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है,
मेरी उम्मीद की जद में अभी सारा जमाना है,
कई जीत है दिल के देश पर मालूम है मुझकों,
सिकन्दर हूँ मुझे इक रोज़ खाली हाथ जाना है।” – Kumar Vishwas Quotes
“उम्मीदों का फटा पैरहन,
रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है,
तुम से मिलने की कोशिश में,
किस-किस से मिलना पड़ता है।”
“बदलने को तो इन आखों के मंजर काम नहीं बदले,
तुम्हारी याद के मौसम हमारे ग़म नहीं बदले,
तुम अगले जन्म में हम से मिलोगी तब तो मानोगी,
ज़माने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदले।” – Kumar Vishwas Quotes
“उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे,
वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे,
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा,
ये मुसाफिर हो कोई ठिकाना चाहे।”
“घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे,
देखना ये है कि मंजिल पे कौन पहुँचेगा,
मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा।” – Kumar Vishwas Quotes
“जब भी मुँह ढंक लेता हूँ तेरे जुल्फों की छाँव में कितने गीत उतर आते है मेरे मन के घाओ में।”
“मेरे लहज़े में जी हुजूर न था इससे ज़्यादा मेरा कसूर न था।” – Kumar Vishwas Quotes
“मैं तो झोंका हूँ हवाओ का उड़ा ले जाऊंगा, जागती रहना तुझे तुझसे चुरा ले जाऊंगा।”
“मेरे जीने मरने में, तुम्हारा नाम आएगा.
मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा.
हर एक धड़कन में जब तुम हो, तो फिर अपराध क्या मेरा,
अगर राधा पुकारेंगी, तो घनश्याम आएगा।” – Kumar Vishwas Quotes
“कहीं पर जग लिए तुम बिन, कहीं पर सो लिए तुम बिन.
भरी महफिल में भी अक्सर, अकेले हो लिए तुम बिन
ये पिछले चंद वर्षों की कमाई साथ है अपने
कभी तो हंस लिए तुम बिन, कभी तो रो लिए तुम बिन।”
“यह चादर सुख की मोल क्यू, सदा छोटी बनाता है.
सीरा कोई भी थामो, दूसरा खुद छुट जाता है.
तुम्हारे साथ था तो मैं, जमाने भर में रुसवा था.
मगर अब तुम नहीं हो तो, ज़माना साथ गाता है।” – Kumar Vishwas Quotes
“हर इक खोने में हर इक पाने में तेरी याद आती है
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है.
तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ
समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है।”
“घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे
देखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगा ?
मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा।” – Kumar Vishwas Quotes
“बस्ती – बस्ती घोर उदासी, पर्वत – पर्वत सुनापन.
मन हीरा बेमोल लुट गया, घिस -घिस रीता मन चंदन.
इस धरती से उस अम्बर तक, दो ही चीज़ गजब की है.
एक तो तेरा भोलापन है, एक मेरा दीवानापन।”
“तुम्हीं पे मरता है ये दिल, अदावत क्यों नहीं करता,
कई जन्मों से बंदी है, बग़ावत क्यों नहीं करता,
कभी तुम से थी जो वो ही शिकायत है ज़माने से,
मेरी तारीफ़ करता है, मुहब्बत क्यों नहीं करता..!”
निष्कर्ष:-
कुमार विश्वास ने अपने जीवन में बहुत से ऐसे पड़ाव भी देखे है जहाँ उन्हें लगा की उन्होंने गलत रास्ता चुन लिया है। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और स्वंय के दम पर जिंदगी में परिवर्तन लाते रहे और समय के साथ उन्होंने अपनी कविताओं एंव गीतों को बदला और आज वह एक सफल कवि है। उन्होंने आदित्य दत्त की फिल्म ‘चाय गरम’ में अभिनय भी किया है।
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