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Indira Gandhi’s Biography in Hindi: इंदिरा गांधी की जीवन परिचय हिंदी में..!
इंदिरा गांधी, एक ऐसी महिला जिसे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर Iron Lady of India के नाम जाना जाता था और आज तक जाना जाता है। हमारे कई नियमित पाठकों की ये जिज्ञासा रहती हैं कि, Indira Gandhi Kon thi?
तो हम, अपने सभी पाठकों को बताना चाहते हैं कि, इंदिरा गांधी भारत की चौथी और स्वतंत्र भारतीय राजनीतिक इतिहास में, प्रथम और अन्तिम महिला प्रधानमंत्री थी जिन्हें ना केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर महिला सशक्तिकरण के चेहरे के तौर पर जाना और पहचाना जाता था।
इसीलिए अपने पाठकों की भारी मांग को पूरे समर्पण भाव से पूरा करते हुए हम, इंदिरा गांधी बायोग्राफी इन हिंदी – Indira Gandhi’s Biography Hindi Me व Indira Gandhi Ki Jivani के बारे में, विस्तार से चर्चा करेंगे, जिसकें अंतर्गत हम अपने पाठको को Indira Gandhi Full Information Hindi में, प्रदान करेंगे और साथ ही साथ Iron Lady of India श्री. इंदिरा गांधी एक पूर्ण व संतुलित तस्वीर उकेरने की कोशिश करेंगे ताकि हमारे सभी पाठक इंदिरा गांधी व उनके व्यक्तित्व को बेहद करीब से देख व समझ पायें, यही हमारे इस लेख का मौलिक लक्ष्य हैं।
Indira Gandhi: The Iron lady of India
“यदि देश की सेवा करते हुए मेरी मृत्यु भी हो जाये तो मुझे इसका गर्व होगा। मुझे पूरा विश्वास है कि, मेरे खून का एक-एक कतरा राष्ट्र के विकास में योगदान और इसे सुदृड़ और ऊर्जावान बनायेगा।” — इंदिरा गांधी
जानिए इंदिरा गांधी को क्यों कहा जाता है आयरन लेडी:-
हम, अपने सभी पाठको को बताना चाहते हैं कि, Indira Gandhi Kon thi? या Iron Lady of India कौन थी तो आपको बता दें कि, भारतीय राजनीति में, स्व. श्रीमति इंदिरा गांधी को ही Iron Lady of India कहा जाता हैं जो कि, 19वीं शताब्दी में, भारतीय राजनीति का चेहरा बनकर उभरी थी क्योंकि साल 1966 से लेकर 1977 तक लगातार 3 बार भारत की महिला प्रधानमंत्री रही और साल 1980 से लेकर 1984 में, हत्या की साजिश तक प्रधानमंत्री रही थी।
“उन मंत्रियों से सावधान रहना चाहिए जो बिना पैसों के कुछ नहीं कर सकते और उनसे भी जो पैस लेकर कुछ भी करने की इच्छा रखते हैं।” — इंदिरा गांधी
अपनी इन राजनीतिक पारियों के दौरान इंदिरा गांधी ने, भारतीय राजनीति को ना केवल राष्ट्रीय स्तर पर निखारा बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय स्वतंत्र पहचान की प्राप्ति में, अपना अमूल्य योगदान दिया जो कि, भारतीय प्रधानमंत्री के पद पर चौथी लेकिन पहली व एकमात्र महिला प्रधानमंत्री थी और इसीलिए हम, Iron Lady of India के नाम से इंदिरा गांधी को जानते हैं।
क्या आप Indira Gandhi Ki Jivani के बारे में, जानते हैं?
“एक राष्ट्र की शक्ति उसकी आत्मनिर्भरता में है दूसरो से उधार लेकर काम चलाने में नहीं।” — इंदिरा गांधी
इंदिरा गांधी की पूरी व संतुलित जीवनी की एक परिपूर्ण तस्वीर प्रस्तुत करने के लिए हम, कुछ बिंदुओ की मदद लेंगे जो कि, इस प्रकार से हैं: –
1. Indira Gandhi Kon thi?
क्या आप इंदिरा गांधी का पूरा वास्तविक नाम जानते है यदि नहीं तो जान लीजिए कि, स्व. श्रीमति इंदिरा गांधी का पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी था जिनका जन्म 19 नवम्बर, 1917 को दिग्गज राजनीतिक परिवार कहे जाने वाले नेहरु परिवार में, हुआ था और इन्हें पिता के रुप मे, राजनीतिक के प्रतीक कहे जाने वाले श्री. पं. जवाहर लाल नेहरू पिता के रुप में और श्रीमति कमला नेहरू माता के रुप में, प्राप्त हुई थी
2. इंदिरा कैसे नेहरु से गांधी बनी?
चूंकि इंदिरा के आगे गांधी लगाया जाता है इसलिए हमारे कई पाठक भ्रम के शिकार हो जाते है कि, इंदिरा गांधी का संबंध राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से था लेकिन सच्चाई ये हैं कि, इंदिरा गांधी का महात्मा गांधी से ना तो कोई रक्त संबंध है और ना ही कोई वैवाहिक संबंध। उन्हें गांधी उपनाम की प्राप्ति केवल फिरोज गांधी से विवाह करने के पश्चात प्राप्त हुई थी और तभी से वे इंदिरा गांधी के नाम से प्रसिद्ध व लोकप्रिय हुई थी।
3. कैसी रही इंदिरा गांधी कि, शिक्षा यात्रा?
भले ही इंदिरा गांधी का जन्म एक प्रभावशील और प्राथमिकता प्राप्त राजनीतिक परिवार मे, हुआ था लेकिन उनकी शिक्षा यात्रा भी कई मायनो में, पारिवारीक संकटो से घिरी रही।
इंदिरा ने, अपनी मैट्रिक की शिक्षा पुणे विश्वविघालय से अर्जित की और वहीं थोड़ी-बहुत शिक्षा उन्होंने बंगाल के प्रसिद्ध व लोकप्रिय शांतिनिकेतन में श्री. रवींद्रनाथ टैगोर द्धारा निर्मित विश्व भारती विश्वविघालय से भी प्राप्त की व इसी दौरान उन्हें रवींद्रनाथ टैगोर द्धारा प्रियदर्शिनी नाम दिया गया था जिसके बाद इंदिरा गांधी ने, सोमेरविल्ले कॉलेज ( स्विट्जरलैंड ) से व ऑक्सफोर्ट यूनिवर्सिटि (लंदन, ब्रिटेन) में, भी अध्ययन किया।
इसी अध्ययनकाल के दौरान उनका माता श्रीमति कमला नेहरु, तपेदिक की शिकार हुई जिसके फलस्वरुप इंदिरा को अपनी माता के साथ अन्तिम कुछ दिन स्विट्जरलैंड में, ही बिताना पड़ा और सबसे दुखद बात ये रही कि, जिस समय इंदिरा गांधी ने, अपना माता कमला नेहरु को खोया उस समय उनके पिता जेल में, कैद थे।
इस प्रकार हम, कह सकते हैं कि, इंदिरा गांधी कि, शिक्षा यात्रा पारिवारीक संकटो से घिरी रही जिसका मुकाबला इंदिरा गांधी ने, बहादुरी व आत्मनिर्भरता से किया।
4. इंदिरा का विवाह फिरोज से कैसे हुआ था?
इंदिरा की फिरोज से पहचान इलाहबाद से ही था जब फिरोज गांधी लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में, अध्ययन कर रहे थे। इसके बाद जब 1937 में, इंदिरा ने, ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया उसके बाद इंदिरा व फिरोज की मुलाकात आमतौर पर होने लगी।
इन मुलाकातो के परिणामस्वरुप पिता की असहमित के बावजूद इंदिरा ने, फिरोज से 16 मार्च, 1942 को इलाहबाद के आनन्द भवन में, ब्रह्म-वैदिक रीति-रिवाज़ों के अनुसार विवाह किया और अपना पारिवारीक जीवन शुरु किया जिसके फलस्वरुप इंदिरा ने, अपने पहले पुत्र राजीव गांधी व ठीक 2 साल बाद संजय गांधी को जन्म दिया।
लेकिन परिस्थितियों के अनुसार इंदिरा को अपने दोनो बेटों को लेकर पिता के साथ दिल्ली जाना पड़ा लेकिन फिरोज़ गांधी उनके साथ नहीं जा पाये क्योंकि इस दौरान वे नेशनल हेरल्ड में, सम्पादक के पद पर नियुक्त थे जिसे मोतीलाल नेहरू ने, शुरु किया था।
5. इंदिरा गांधी के राजनैतिक जीवन:-
साल 1941 में, जब इंदिरा गांधी ऑक्सफोर्ड से अपनी पढ़ाई पूरी करके वापस स्वदेश लौटी तब उन्होंने पूर्ण समर्पण भाव से खुद को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में, झोंक दिया। इसके बाद साल 1950 के आस-पास जब उनके पिता पं. जवाहर लाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने तब इंदिरा ने, एक गैर-सरकारी रुप से अपना पिता की छत्रछाया प्राप्त की और उन्हें अधीन रहकर राजनीति के दाव-पेंज की विघा प्राप्त की।
साल 1964 इंदिरा के लिए बेहद दुखद और जिम्मेदारी पूर्ण रहा क्योंकि साल 1964 मे, उनका पिता जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु हो गई जिसके बाद इंदिरा लगभग टूट-सी गई लेकिन मजबूत इच्छा-शक्ति व आत्मबल के बल इंदिरा ने, खुद को सम्भाला व राज्यसभा में, प्रवेश किया और भारत के द्धितीय प्रधानमंत्री श्री. लाल बहादुर शास्त्री की कैबिनेट में, सूचना व प्रसारण मंत्री का कार्यभार संभाला।
6. इंदिरा ने, प्रधानमंत्री पद तक का सफर कैसे तय किया?
जैसा कि, हम, सभी जानते हैं कि, भारत व पाकिस्तान के बीच साल 1965 में, एक युद्ध हुआ था जिसमें भारत ने, अपनी जीत सुनिश्चित की थी जिसके फलस्वरुप 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद में, दोनो देशों के बीच शान्ति समझौता हुआ था लेकिन इसी रात भारत के कर्तव्यपरायण व दायित्वनिष्ठ प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी तरीके से मृत्यु हो गई और यही से शुरु हुआ इंदिरा गांधी का प्रधानमंत्री पद की तरफ सफर जिसमें मुख्य योगदान के.कामराज का रहा।
मौजूदा अवसर को भुनाते हुए इंदिरा ने, लोकमत व जनमत को अपनी और आकर्षित किया, अपने विरोधियों को करारा जबाव देते हुए पीछे धकेला, कृषि उत्पादन में, क्रान्तिकारी योगदान दिया और साथ ही साथ भारत में, नारी की पुरातन छवि की जंजीरो को तोड़ते हुए एक आत्मनिर्भर व स्वाभिमानपूर्ण महिला का उदाहरण पेश किया।
7. इंदिरा को कांग्रेस का प्रेसीडेंट कब चुना गया?
राजनीति में, प्रवेश करने के बाद महत्वाकांक्षी और दूर व दीर्घ दृष्टि रखने वाली इंदिरा गांधी को साल 1959 मे, कांग्रेस का प्रेसीडेंट चुना गया जिसके सभी कर्तव्यो व दायित्वो को निर्वाह इंदिरा ने, बखूबी निभाया आदि।
उपरोक्त बिंदुओ की मदद से हमने आपके सामने इंदिरा गांधी की एक संतुलित व परिपूर्ण छवि प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
प्रधानमंत्री के रुप में, इंदिरा का राजनीतिक करियर व उनकी राजनीतिक रणनीति क्या थी?
“मेरे सभी खेल राजनैतिक होते थे; मैं जोन ऑफ आर्क थी, मुझे हमेशा दांव पर लगा दिया जाता था।” — इंदिरा गांधी
इंदिरा एक बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी महिला थी और उनके इसी बहुआयामी व्यक्तित्व का लाभ प्रधानमंत्री पद के साथ-साथ पूरे देश को भी मिला क्योंकि प्रधानमंत्री ने, रुप में, इंदिरा गांधी ने, अनेको ऐसी रणनीतियां अपनाई जिनसे ना केवल प्रधानमंत्री के उनके रुप को स्वीकार्यता मिली बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय़ पटल पर भारत की आत्मनिर्भर छवि का भी विकास हुआ। प्रधानमंत्री के रुप में, इंदिरा कि, उल्लेखनीय रणनीतियां इस प्रकार से हैं:-
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दुर्लभ व दुर्गम राजनीतिक विरासत की प्राप्ति हुई
जब इंदिरा गांधी राजनीतिक सत्ता में, आई तब उन्हे एक दुर्लभ व दुर्गम राजनीतिक विरासत की प्राप्ति हुई थी क्योंकि उस समय पूरा कांग्रेस दल दो भागो में, बट चुका था जैसे कि इंदिरा के समर्थम में, समाजवादी व मोरारजी के समर्थन में, रुढिवादी दल।
मोरारजी देसाई जो कि, इंदिरा के प्रमुख विरोधियों मे से एक विरोधी थे इंदिरा को आलोचना स्वरुप गूंगी गूड़िया कहा करते थे। इस प्रकार हम, कह सकते है कि, इंदिरा को एक दुर्गम राजनीतिक विरासत की प्राप्ति हुई थी जिसे उन्होंने अपने आत्मबल पर अपने अनुकूल बनाया था।
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घरेलू, विदेशी व राष्ट्र सुरक्षा की मजबूत नीति
साल 1969 में, कांग्रेस पार्टी का विभाजन हुआ और साथ ही साथ इंदिरा का प्रधानमंत्री के रुप में, महत्वाकांक्षी व्यक्तित्व उभर कर आया जिसके बाद इंदिरा ने, ना केवल घरेलू बल्कि विदेशी और राष्ट्र सुरक्षा की मजबूत नीति का विकास किया।
जिसके तहत इंदिरा ने इसी साल अर्थात् 1969 में बैंको का राष्ट्रीयकरण किया, बांग्लादेशी शरणार्थियों की समस्या का समाधान करने के लिए व पाकिस्तान द्धारा पूर्वी पाकिस्तान में, किये जा रहे व्यापक मानवाधिकार उल्लंघन के बाद इंदिरा ने, पाकिस्तार पर युद्ध घोषित किया और बांग्लादेश नामक एक स्वतंत्र देश का निर्माण किया और उसे स्वीकार किया।
इंदिरा ने, विदेश नीति को नई और आत्मनिर्भर छवि प्रदान कि, जिसके फलस्वरुप हम, कह सकते हैं कि, इंदिरा ने, सत्ता में, आने के बाद घरेलू, विदेशी और राष्ट्र सुरक्षा के अभेद नीति का विकास किया जिससे उनकी लोकप्रियता में, जबरदस्त इजाफा हुआ।
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इंदिरा ने, भारत को परमाणु सम्पन्न राष्ट्र बनाया
अन्तर्राष्ट्रीय दबाव और चीन की तरफ से परमाणु हमले की आंशका को मद्देनजर रखते हुए इंदिरा ने, भारत में, परमाणु कार्यक्रम की शुरुआत की जिसके तहत राजस्थान के पोखरण नामक रेगिस्तानी क्षेत्र में, साल 1974 में, स्माइलिंग बुद्दा के नाम से पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण सफलतापूर्वक किया और भारत को अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर परमाणु सम्पन्न राष्ट्र के रुप में, स्थापित किया।
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कृषि उत्पादन को बढ़ाने हेतु हरित क्रान्ति की शुरुआत की
हरित क्रान्ति से पहले हम, अनाज का बड़े पैमाने पर आयात करते थे लेकिन साल 1960 में, हरित क्रान्ति के बाद से हमने ना केवल अपने अत्यधिक उत्पादन किया बल्कि भारत अब अपने अतिरिक्त अनाज का निर्यात भी करने लगा जिससे भारत खाद्य के क्षेत्र में, आत्मनिर्भर बन गया।
हरित क्रान्ति के कुछ उल्लेखनीय बिंदु इस प्रकार से हैं – नई किस्मो के बीजो का प्रयोग ( HYV Seeds ), कृषि में रासायनिक अम्लो का प्रयोग ताकि अवांछित पौंधो को समाप्त किया जा सकें, कृषि संस्थानो का विकास, नई व उन्नत किस्मो की बीजों के प्रयोग के साथ-साथ उन्नत सिंचाई प्रणाली का प्रयोग आदि।
इस प्रकार हरित क्रान्ति की मदद से इंदिरा ने, ना केवल भारत को खाद्य के क्षेत्र में, आत्मनिर्भर बनाया बल्कि भारत कि, कृषि प्रधान छवि को भी निखारा।
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गरीबी हटाओ के नारे से इंदिरा को मिला व्यापक जनतम
साल 1971 से लेकर 1975 के अपने दूसरे कार्यकाल में, इंदिरा ने अपने तमाम विरोधियों पर पलटवार करते हुए गरीबी हटाओं का नार दिया जिससे सीधे तौर पर इंदिरा ने, भारत के सभी गरीब लोगो व सामाजिक-आर्थिक रुप से पिछड़े लोगो को अपने पक्ष में, कर लिया और इंदिरा की जीत तय होते देख उनके विरोधियों ने, गरीबी हटाओं की जबावी कार्यवाही में, इंदिरा हटाओं का नारा बुंलद किया।
इंदिरा ने, गरीबी हटाओ के अपने नारे के दम पर चुनाव जीता और गरीबों की गरीबी दूर करने के लिए कई कल्याणकारी व महत्वाकांक्षी योजनाओं की शुरुआत की।
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राज नारायण बनाम इंदिरा गांधी
12 जून, 1975 को इलाहबाद उच्च न्यायालय ने, राज नारायण के हित में, फैसला सुनाते हुए इंदिरा गांधी के लोकसभा चुनावों को रद्द कर दिया था क्योंकि उन पर राज नारायण की तरफ से दायर एक याचिका में, भ्रष्टाचार के आरोप लगाये गये थे जिसके फलस्वरुप ना केवल लोकसभा चुनाव को रद्द किया गया बल्कि इंदिरा को आसन भी छोड़ना पड़ा और साथ ही साथ उन पर 6 महिनों तक चुनाव में, भाग लेने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया।
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इंदिरा और भारतीय राजनीति में, उनका आपातकाल
हम, आपातकाल को भारतीय राजनीतिक के सबसे अप्रिय पन्नों के रुप मे, देखते आये है जिसे राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के शासनकाल में, इंदिरा गांधी ने 26 जून,1975 के दिन संवैधानिक धारा 352 को लागू करते हुए पूरे भारत में, आपातकाल लगाया था।
जिसके अंतर्गत इंदिरा अपने विरोधियों को समाप्त करने के लिए उनकी बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी के आदेश जारी किये, पुलिस को कर्फ्यू लगाने व नागरिक गतिविधियों को निंयत्रित करने की शक्ति सौंपी गई, देश में प्रचलित सभी सूचना व प्रकाशन विभागों को सेंसर व्यवस्था के अधीन ला खड़ा किया और उन्हें गूंगा व बहरा बना दिया गया जिसके बाद सूचना व प्रसारण मंत्रालय के मंत्री पद से इंद्र कुमार गुजराल ने, इस्तीफा दे दिया।
हजारो की संख्या में राजनीतिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की गई, परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत अनगिनत पुरुषों की जबरदस्ती नसबंदी की गई, जामा मस्जिद के आस-पास बड़े पैमाने पर झुग्गियों को उजाड़ा गया जिससे लाखों गरीब लोग बेघर हुई जिसमें संजय गांधी का हाथ शामिल पाया गया और पूरे देश में, साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हुई जो कि, साल 1977 तक जारी रही।
इंदिरा ने, साल 1977 में, पुन-चुनावों की घोषणा की लेकिन इस बार देश की जनता ने, इंदिरा का साथ नहीं दिया और इंदिरा को आगामी चुनावों में, भारी मतों से हार का सामना करना पड़ा।
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ऑपरेशन ब्लू-स्टार और इंदिरा की हत्या
इंदिरा शासनकाल मे, भारतीय राजनीति संतुलन प्राप्त नहीं कर पाया जिसका नतीजा ये हुआ कि, पंजाब में, भी अलगाववादी व विरोधी स्वरों की चीख सुनाई देने लगी क्योंकि साल 1981 में जरनैल सिंह भिंडरावालें का आंतकवादी सिख समूह हरमिन्दर साहिब में, प्रवेश पाकर वहां पर कब्जा कर लिया था जिससे निपटने के लिए इंदिरा द्धारा, हजारो की संख्या में, भक्तो की जान बचाने के लिए सेना को मंदिर में, प्रवेश की इजाजत दे दी गई जिसे इंदिरा ने, ऑपरेशन ब्लू-स्टार का नाम दिया।
इसके बाद स्थिति और भी संवेदनशील हो गई क्योंकि साल 1984 में, सिख समुदाय के बढ़ते आक्रोश का गुबार फूटा जिसके फलस्वरुप 31 अक्टूबर, 1984 को दो सिख जवानों – सतवंत सिंह व बेअन्त सिंह ने, प्रधानमंत्री आवास के बगीचे में, इंदिरा गांधी की हत्या कर दी जिसके तहत उन्हें अलग-अलग अनुमानों के मुताबिक कुल 31 गोलियां मारी गई थी जिसकी वजह से इंदिरा ने, रास्त मे, ही दम तोड़ दिया था और इस प्रकार Iron Lady of India इंदिरा गांधी का राजनीतिक जीवन समाप्त हो गया।
उपरोक्त सभी बिंदुओं की मदद से हमने अपने सभी पाठको को इंदिरा गांधी के राजनीतिक करियर व प्रधानमंत्री रुप में, उनकी कुशल रणनीतियों की एक संतुलित व विस्तृत छवि उकेरने का प्रयास किया हैं।
इंदिरा को धरोहरपूर्ण क्यूं कहा जाता हैं?
“आपको आराम के समय क्रियाशील रहना चाहिए और आपको गतिविधि के दौरान स्थिर रहना सीख लेना चाहिए।” — इंदिरा गांधी
हम, अपने सभी पाठको व राजनीतिक के विद्यार्थियों को बताना चाहते हैं कि, भारत की चौथी और महिला के रुप में, पहली व एकमात्र प्रधानमंत्री स्व. श्रीमति इंदिरा गांघी को धरोहरपूर्ण कहा जाता है क्योंकि उनके नाम पर कई संस्थाओं, विश्वविघालयों व अन्य संगठनो का निर्माण किया गया हैं जिनकी सूची इस प्रकार से हैं –
- नई दिल्ली स्थित उनके आवास को म्यूजियम बनाया गया जिसे इंदिरा गांधी मेमोरियल म्यूजियम के नाम से जाना जाता है
- इंदिरा गांधी के नाम पर कई मेडिकल कॉलेजो की स्थापना की गई है
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविघालय ( इग्नू ) को मुक्त शिक्षा की दिशा में, प्रभावी विश्वविघालयो में, शामिल किया जाता है
- भारत की राजधानी नई दिल्ली में, भी इंदिरा गांधी के नाम पर एयरपोर्ट का निर्माण किया गया है आदि।
उपरोक्त सभी बिंदुओं की मदद से हमने इंदिरा गांधी के धरोहरपूर्ण व्यक्तित्व को उभारने का प्रयास किया है ताकि हमारे सभी पाठक व राजनीतिक के विद्यार्थी इंदिरा गांधी के प्रभाव व राजनीतिक सफलता को आंक सकें।
सारांश:-
इंदिरा गांधी को समर्पित अपने इस लेख में, हमने आपको Indira Gandhi’s Biography Hindi अर्थात् इंदिरा गांधी की पूरी जीवनी के बारे में, विस्तार से बताया ताकि आप सभी इंदिरा गांधी के प्रभावशाली व कर्तव्यनिष्ठ छवि को करीब से देख सकें और उनसे प्रेरणा व प्रोत्साहन प्राप्त कर सकें।
अंत, लेख के अन्त में, हम, अपने सभी पाठकों व विद्यार्थियों से आशा करते हैं कि, लेख ज्ञानपूर्ण व रुचिपूर्ण पाये जाने पर आप हमारे इस लेख को अधिकाधिक मात्रा में Like करेंगे, मित्रो के साथ व सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर बहुतायत मात्रा में Share करेंगे और साथ ही साथ लेख की गुणवत्ता को और निखारने के लिए Comment करके हमें अपने सुझाव प्रदान करें।
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