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Dalai Lama Biography In Hindi: दलाई लामा का सम्पूर्ण जीवन परिचय
हमारे भारतवर्ष तथा विश्व के इतिहास में ऐसे बहुत कम ही महान व्यक्ति हुए है। जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन सभी की शांति के लिए न्योछावर कर दिया हो, क्योकि किसी भी व्यक्ति के लिए अपना निजी जीवन सर्वोपरी होता है। इस दुनिया में ऐसे महान व्यक्ति बहुत कम ही होते जो अपने निजी जीवन के स्वार्थ की चिंता किये बगैर देश तथा समाज के लिए निस्वार्थ भाव से काम करते है।
आज हम एक ऐसे महापुरुष के जीवन के बारे में जानेंगे जिन्होंने विश्व शांति तथा भाईचारे के लिए कई ऐसे प्रभावी काम किये है। जिन कामो के लिए उन्होंने व्यक्तिगत रूप से दिया जाना वाला सबसे बड़ा पुरस्कार नोबल पुरस्कार भी दिया जा चुका है। आज हम बात कर रहे है शांति और समानता के प्रतिक कहे जाने वाले दलाई लामा जी के बारे में, दलाई लामा तिब्बत के 14 वे धर्मगुरु है। शांति के क्षेत्र में निरंतर अपना योगदान प्रदान करने के लिए वर्तमान समय में दलाई लामा पूरे विश्व के लिए एक सकारात्मक उदहारण स्वरुप है। इस आर्टिकल में हम Dalai Lama की Biography तथा दलाई लामा के जीवन परिचय को जानेंगे।
दलाई लामा का बचपन:
शांति और संप्रभुता का प्रतीक कहे जाने वाले दलाई लामा का जन्म 6 जुलाई सन 1935 को तिब्बत के ताकस्तेर नामक स्थान पर हुआ था। दलाई लामा का जन्म एक ओमान परिवार में हुआ था। दलाई लामा के पिता का नाम चोक्योंग त्सेरिंग है तथा दलाई लामा की माता का नाम डिकी त्सेरिंग है। दलाई लामा के जो वंशज थे वह करुणावादी, शांतिप्रिय तथा बुद्ध के गुणों के रूप में माने जाते थे,दलाई लामा एक मंगोलियन पदवी है।
जिसका असली अर्थ ज्ञान का महासागर होता है,दलाई लामा के वंशजो को बोधिसत्व माना जाता था। जो मानवता की रक्षा के लिए पुनर्जन्म जैसा निर्णय लेने में भी सक्षम होते थे। उन्हें सामजिक रूप से सम्मान के साथ परमपावन भी कहा जाता था। दलाई लामा का पूरा नाम ल्हामो घोड्ख है, जिन्हें आज सम्पूर्ण विश्व दलाई लामा के नाम से जानता है।
दलाई लामा की शिक्षा:
दलाई लामा जो की आज सम्पूर्ण विश्व में सभी को शांन्ति तथा भाईचारे की शिक्षा प्रदान करते है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा 6 वर्ष की उम्र से ही प्रारंभ हो गयी थी। अपनी पढाई को निरंतर रूप से करते हुए दलाई लामा ने साल 1959 में गेशे ल्हारापा की डिग्री हासिल की थी। जो की बौद्ध दर्शन के रूप में जानी जाती है। दलाई लामा ने अपनी आगे की शिक्षा ड्रेपुंग, सेरा तथा गंडेन नामक स्थानों से पूरी की थी।
इसके बाद दलाई लामा ने 23 वर्ष की उम्र में साल 1959 में जोखांग मंदिर ल्हासा, मोनलम में अपनी फाइनल की परीक्षा दी थी। दलाई लामा ने अपनी यह फाइनल की परीक्षा को ऑनर्स के साथ पास की थी तथा दलाई लामा को उसके बाद बौद्ध धर्म में पीएचडी प्रदान की गयी थी।
दलाई लामा का नेतृत्व भरा जीवन:
जब दलाई लामा ने अपनी शिक्षा को पूरा कर लिया था। उस समय तिब्बत के उपर चीन द्वारा निरंतर रूप से हमले किये जा रहे थे। इसलिए चीन के हमलो के समय वहा के लोगो ने परमपावन दलाई लामा को कहा की वे तिब्बत की पूर्ण राजनीतिक सत्ता को अपने अधिकार में ले ले। इसके बाद दलाई लामा सन 1954 में माओ जोडांग तथा डेंग जियोपिंग जैसे कई चीनी नेताओ से भी मिले तथा उनसे इस मामले में बातचीत करने के लिए बीजिंग भी गये थे। दलाई लामा की निरंतर बातचीत और कोशिशो के बावजूद भी चीनी सैनिको ने ल्हासा में चल रहे तिब्बती आन्दोलन को पूरी तरह से तबाह कर दिया था।
चूँकि चीनी सेनाओ द्वारा ल्हासा में चल रहे तिब्बती राष्ट्रीय आन्दोलन को बुरी तरह से कुचल दिया था। इसलिए सभी तिब्बती लोग उत्तर भारत के शहर धर्मशाला में पलायन करते हुए आये और धर्मशाला में रहने लगे, जो की वर्तमान में केन्द्रीय तिब्बती प्रशासन का मुख्यालय भी है।
चूँकि इसके बाद भी चीज़ द्वारा तिब्बत पर हमले लगातार जारी रहे थे। इसलिए इस बात से परेशान होकर दलाई लामा ने इस मामले को सयुंक्त राष्ट्रसंघ की महासभा में भी उठाया था। उन्होंने वहा अपील की थी की तिब्बत मसले को सही तरीके से सुलझाया जाए तथा चीन को आश्वासित किया जाये की वह इस प्रकार ही हरकते भविष्य में न करे। इस सम्बन्ध में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा तीन प्रस्ताव साल 1959, 1961 तथा 1965 में तीन प्रस्ताव पारित किये जा चुके है।
दलाई लामा द्वारा लोकतंत्र का प्रारूप तैयार करना:
चीन द्वारा किये हमलो के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र महासभा में लेजाकर अपील करने के बाद परमपावन दलाई लामा ने सन 1963 को तिब्बत के लिए लोकतान्त्रिक संविधान का प्रारूप प्रस्तुत किया था। इस संविधान के प्रारूप को प्रस्तुत करने के बाद भी परमपावन दलाई लामा ने इसमें कई तरह के सुधार भी किये थे। इसके बाद साल 1990 में परमपावन दलाई लामा ने तिब्बती मंत्रिमंडल काशग तथा दसवी संसद को भंग कर दिया और नए सिरे से चुनाव कराये थे। 11 वी तिब्बत संसद के मेबर का चुनाव दुनियाभर में रह रहे तिब्बतियों के एक मेम्बर एक वोट के आधार पर किया गया था।
इसके पश्चात परमपावन दलाई लामा ने घोषणा करते हुए उन्होंने कहा की ” तिब्बत के आजाद होने पर एक अंतरिम सरकार को गठित किया जाए। तिब्बत को एक लोकतंत्र के रूप में लाने के लिए एक संविधान सभा का चुनाव कराया जाए। तिब्बत को एक डेमोक्रेटिक राष्ट्र बनाया जाये ” इसके बाद वर्ष 2001 में परमपावन दलाई लामा से परामर्श लेकर तिब्बती संसद ने निर्वासित तिब्बत के संविधान में संशोधन किया था।
संविधान में संशोधन के बाद तिब्बत के कार्यकारी प्रमुख के प्रत्यक्ष निर्वाचन का प्रावधान किया था। वह निर्वाचित कार्यकारी प्रमुख अपने कैबनेट के सहयोगियों का नामांकन करता है और उनकी नियुक्ति के लिए संसद से स्वीकृति प्राप्त करता है। इसके बाद पहले प्रत्यक्ष कार्यकारी प्रमुख ने साल 2001 के सितम्बर माह में अपना कार्यभार ग्रहण किया था।
शांति के क्षेत्र में दलाई लामा के प्रयास:
चूँकि चीन द्वारा तिब्बत पर निरंतर हमले किये जा रहे थे। इसलिए परमपावन दलाई लामा ने इस मुद्दे का शांतिपूर्ण तरीके से हल निकलने के लिए उन्होंने पांच सूत्रीय शांति योजना प्रस्तुत की थी। उन्होंने सभी के समक्ष यह विचार रखा की तिब्बत को एक शांति क्षेत्र में बदला जा सकता है। जहा सभी प्राणीमात्र शांति के साथ रहते हुए पर्यावरण की रक्षा कर सके। उन्होंने इन मुख्य बिन्दुओ के आधार पर शांति के लिए पांच सूत्रीय योजना तैयार की थी।
- सम्पूर्ण तिब्बत को शांति पूर्ण क्षेत्र के रूप में परिवर्तित किया जाए।
- चीन द्वारा अपनी जनसँख्या स्थानांतरण नीति को रोका जाए, जिसके द्वारा तिब्बती लोगो के अस्तित्वी पर खतरा पैदा हो रहा है, जिसके पश्चात तिब्बती नागरिको को मानवाधिकार और लोकतान्त्रिक आजादी का सम्मान मिलेगा।
- तिब्बत के प्राकृतिक सम्पदा तथा पर्यावरण का संक्षारण किया जाये तथा उनके पुनरुद्धार पर विचार किया जाये।
- चीन की उस भयंकर नीति पर तुरंत रोक लगाई जाये जिसकी वजह से वह तिब्बत को नाभिकीय हथियारों तथा नाभिकीय कचरे के निस्तारण स्थल के रूप में प्रयोग कर रहा है।
- तिब्बत तथा चीनी लोगो तथा समाज के संबंधो पर पुनर्विचार करके बातचीत की जाए तथा किसी बेहतर निष्कर्ष पर पंहुचा जाये।
इसके अतिरिक्त परमपावन दलाई लामा द्वारा शांति के क्षेत्र में विशेष कार्य किये गये है। जिनकी सराहना सम्पूर्ण विश्व द्वारा की जाती है और जिन शन्ति प्रयासों के लिए दलाई लामा को नोबल पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। शांति के क्षेत्र में दलाई लामा द्वारा किये गये कुछ प्रमुख प्रयास तथा सन्देश इस प्रकार है।
- यदि हमें वर्तमान समय की चुनौतियों का सामना करना है, तब मनुष्य को अपने भीतर सार्वभौमिक उत्तरदायित्व की व्यापक भावना का विकास करना चाहिए।
- हमें चाहिए की हम सभी भाईचारे के साथ अपना जीवन यापन करे तथा मानव सभ्यता के लिए निस्वार्थ भावना के साथ कार्य करते हुए विश्व शांति की स्थापना करे।
- बौद्ध धर्म का प्रचार करना, क्योकि परमपावन दलाई लामा का कहना यह था की- मेरा धर्म साधारण है। मेरा धर्म सभी के लिए दयालुता को महत्त्व प्रदान करता है।
- हमें अपनी प्रकृति तथा पर्यावरण की रक्षा सदैव आगे आकर करना चाहिए। क्योकि प्रकृति ही हमारी सबसे पहली माता है जिन्होंने हमें जन्म दिया और अपनी गोद में रखकर हमारा पालन पोषण किया।
- हम चीन अथवा किसी भी विशेष के विरुद्ध बिलकुल भी नही है, बल्कि हमारा सर्वप्रथम लक्ष्य केवल यही है की हम सभी मानवता को श्रेष्ठ बनाये और सभी निस्वार्थ भाव से एक दुसरे की सहायता करते रहे।
परमपावन दलाई लामा ने अपने प्रयासों से हमेशा ही विश्व में शांति की स्थापना की है। यह उनके शांति के लिए प्रयासों और कामो की ही शक्ति थी, जिसके कारण से आज सम्पूर्ण विश्व में दलाई लामा सभी के उदाहरण स्वरूप माने जाते है। शांति और मानवता के क्षेत्र में दलाई लामा द्वारा किये गये कार्यो के लिए उन्हें 6 अक्टूबर, सन 1989 नोबल पुरस्कार भी दिया गया था।
दलाई लामा की लोकप्रियता का कारण:
परमपावन दलाई लामा की लोकप्रियता का प्रमुख कारण यही है की उनका प्रत्येक तिब्बती और हर उस व्यक्ति के साथ गहरा रिश्ता है। जो मानवता के साथ जुदा हुआ है, वैसे तो दलाई लामा का तिब्बतियों के साथ अकथनीय जुडाव हमेशा से ही रहा है। उनके द्वारा तिब्बत की मुक्ति तथा शांति के क्षेत्र में किये गये अतुलनीय प्रयासों के लिए उन्हें नोबल पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।
यही कारण है की सभी के द्वारा दलाई लामा को इतना अधिक पसंद किया जाता है। दलाई लामा सदैव ही सभी को शांति सन्देश तथा अहिंसा से चलने का मार्ग प्रशस्त करते है। सम्पूर्ण विश्व को शांति, करुणा तथा क्षमाशीलता की भावना ही परमपावन दलाई लामा की प्रसिद्धि तथा लोकप्रियता का असली कारण है। दलाई लामा अपने प्रयासों से विश्व में शांति तथा अहिंसा स्थापित करते हुए इसी तरह सम्पूर्ण विश्व में सदैव की लोकप्रिय बने रहेंगे।
दलाई लामा द्वारा लिखी गयी किताबे:
दलाई लामा द्वारा हमारे मानव समाज तथा विश्व को एक नयी दिशा तथा नया नजरिया प्रदान करने के लिए कई साडी किताबे भी लिखी गयी है। दलाई लामा द्वारा मानव सभ्यता के विकास के लिए लिखी गयी किताबे इस प्रकार है।
- The Art of Happiness ( खुशी की कला ), 1998
- The Book of Joy (खुशी की किताब ), 2016
- Freedom In Exile ( निर्वासन में स्वतंत्रता ), 1990
- An Open Heart ( एक खुला दिल ), 2001
- The Way To Freedom ( आजादी का रास्ता ), 1994
- Lighting the Way ( प्रकाशमान मार्ग ), 2005
- The Power of Buddhism ( बौद्ध धर्म की शक्ति ), 1992
- Practicing Wisdom ( बुद्धि का अभ्यास ), 2004
- The Art of Happiness At Work ( काम पर खुशी की कला ), 2003
- How To Expand Love ( प्यार का विस्तार कैसे करें ), 2005
- Destructive Emotions ( विनाशकारी भावनाएँ ), 2002
- The Path to Enlightenment ( आत्मज्ञान का पथ ), 1994
- My Spiritual Autobiography ( मेरी आध्यात्मिक आत्मकथा ), 2009
- Essential Teachings ( आवश्यक शिक्षाएँ ), 1974
निष्कर्ष:-
दलाई लामा ने अपने प्रयासों से न सिर्फ तिब्बतियों का बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लोगो का अपने शांति कार्यो और प्रयासों से कल्याण किया है। सदी में केवल कुछ ही व्यक्ति होते है जो अपने निजी जीवन के स्वार्थ को भूलकर मानव सभ्यता के विकास तथा कल्याण पर अधिक ध्यान कन्द्रित करते है।
हमें चाहिए की हम दलाई लामा द्वारा दिए गये शांति संदेशो को समझे और वास्तविक दुनिया में उनको सभी के उपयोग में लाये। हमें आशा है की आपको Dalai Lama की Biography In Hindi अवश्य ही पसंद आयी है और आपने दलाई लामा के जीवन से कुछ न कुछ अवश्य ही सीखा होगा।
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