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Bhagat Singh Quotes In Hindi: भगत सिंह के 20 क्रांतिकारी विचार….!
भगतसिंह ने भारत माता के सम्मान और आज़ादी के लिए अपने जीवन तक की बलिदानी दे दी थी। ऐसे में आज के इस पोस्ट Bhagat Singh Quotes In Hindi के जरिये हम भारत माँ के इस वीर सपूत जीवन पर एक हल्की नज़र डालते हैं। इसके साथ ही हम भगत सिंह द्वारा कही गयी कुछ प्रेरणादायक बातें भी आप तक पहुँचाने का प्रयास करेंगे।
“सरफरोशी की तमन्ना अब हमारी दिल में है, देखना है जोर कितना बाजु ए कातिल में है।”
जन्म | 28 सितम्बर 1907 ई० |
मृत्यु | 23 मार्च 1931 ई० |
जन्मस्थल | गाँव बंगा, जिला लायलपुर, पंजाब (अब पाकिस्तान में) |
मृत्युस्थल | लाहौर जेल, पंजाब (अब पाकिस्तान में) |
आन्दोलन | भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम |
प्रमुख संगठन | नौजवान भारत सभा, हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन |
भगत सिंह का जीवन – Bhagat Singh Biography in Hindi
भारत माँ के सच्चे सेवक सरदार भगत सिंह जी का जन्म 27 सितम्बर 1907 को पाकिस्तान के लायलपुर ज़िले के जरणवाला तहसील के बंगा गाँव मे हुआ था। भगत सिंह के पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। भगतसिंह के पिता और चाचा ग़दर पार्टी के सदस्य थे और वो भी भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे थे। ऐसे में भगत सिंह के भीतर भी देशभक्ति की ज्वाला फूटना लाजमी था।
अमृतसर के जलियावाला बाग में जब भयानक नरसंहार हुआ था और उसमें लगभग 150 भारतीयों को गोलियों से भून दिया गया था, तब भगत सिंह मात्र 12 साल के थे। लेकिन इस छोटी सी उम्र में भी उनका मन देश प्रेम में इतना लीन था कि वो उस घटनास्थल पर जा पहुँचे थे।
वहाँ के भयावह दृश्य ने छोटे भगत को भीतर से झकझोर कर रख दिया था। तभी से उनके मन मे ब्रिटिश राज के विरुद्ध ज़हर भर गया था। भगत सिंह ने अपनी शुरुआती पढ़ाई लाहौर में स्थित डी. ए. वी. स्कूल से की थी।
अपने स्कूली दिनों में ही वो भारत की आज़ादी को लेकर अपने गर्म स्वभाव को प्रदर्शित करने लगे थे। जब वो थोड़े बड़े हुए तो उनके पिता, भगत सिंह पर शादी करने का दबाव बनाने लगे। तब वो घर से भागकर कानपुर जा पहुँचे। वहाँ से उन्होंने अपने पिता के ख़त लिखकर कहा था –
“भारत माता की आज़ादी ही मेरी दुल्हन है। मैं पूरी ज़िन्दगी शादी नहीं करूँगा।”
आजादी की लड़ाई में सहयोग – Cooperation in Freedom Fight
1919 में हुए जलिवालाबाग हत्याकांड के बाद महात्मा गाँधी जी ने पूरे देश मे असहयोग आन्दोलन कि शुरुआत कर दी थी। लेकिन इसके कुछ ही दिन बाद चौरी-चौरा में हुए घटनाक्रम की वज़ह से उन्होने इस आन्दोलन से अपने क़दम पीछे खींच लिए। इस वज़ह से भगत सिंह के भीतर गाँधी जी को लेकर मतभेद उत्पन्न हो गया। वो ब्रिटिश शासन से लड़कर उनसे भारत को मुक्त कराना चाहते थे, लेकिन गाँधी जी अहिंसा के रास्ते पर चलकर भारत को स्वतन्त्र कराना चाहते थे।
गाँधी जी के विचारों से असंतुष्ट होने के बाद भगत सिंह ने साल 1926 में ‘नौजवान भारत सभा’ नाम की पार्टी की नींव रखी। इसके बाद वो हिन्दुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन से भी जुड़ गए। इस पार्टी में गरम दल के सभी नेता जैसे कि चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल औए अशफाकुल्लाह खान मौजूद थे।
इसी बीच साल 1927 में भगत सिंह को लाहौर में हुए बम ब्लास्ट का आरोपी बनाकर गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में उन्हें 60,000 रुपये की ज़मानत जमा करने पर छोड़ दिया गया।
साल 1928 में साइमन के भारत आने के विरोध में लाला लाजपत राय प्रदर्शन कर रहे थे। इस समय अंग्रेज प्रशासन द्वारा लाठी चार्ज करा दिया गया जिसमें लाला जी के सिर में चोट लग गयी और उनकी मृत्यु हो गयी।
लाला जी की मौत ने भारतीय क्रांतिकारियों के बीच काफ़ी रोष पैदा कर दिया। हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन के सदस्यों ने लाला जी की मौत का बदला लेने का निश्चय किया। फ़िर इस लाठी चार्ज कराने वाले अधिकारी जेम्स ए स्कॉट को जान से मार देने का निर्णय लिया गया। भगत सिंह अपने साथियों के साथ ए स्टॉक को मारने के नियत से ही वो लाहौर पहुँचे। लेकिन वहाँ गलती से ए. स्टॉक को मारने के बजाय पी.सांडर्स की हत्या कर दी।
इसी साल भगत सिंह ने सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली में भी बम फेंकने का प्लान भी बनाया था। वहाँ उनकी किसी को मारने की नियति नहीं थी, वो सिर्फ़ ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के विरोध की आवाज़ ऊपर प्रशासन तक पहुँचाना चाहते थे। 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर असेंबली में बम फेंका। बम फेंकने के बाद ये लोग वहाँ पर ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा तब तक लगाते रहे जब तक कि उन्हें अंग्रेज पुलिस द्वारा गिरफ़्तार नहीं कर लिया गया।
अन्तिम समय – Last Time
सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली में बम फेंकने के जुर्म में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को गिरफ्तार कर लिया गया। बम फेंकने की इस घटना ने पूरे ब्रिटिश सरकार को हिला कर रख दिया। ऐसे में ब्रिटिश शासन भगत सिंह की भूमिका को लेकर काफ़ी सख़्त हो गया। बम बनाने और जनरल सांडर्स की हत्या के आरोप में राजगुरु, सुखदेव और भगत सिंह को फाँसी की सज़ा सुनाई गयी।
इसके बाद 23 मार्च 1931 की सुबह में भगत सिंह समेत उनके दो मित्रों राजगुरु और सुखदेव को फाँसी दे दी गयी। लेकिन उनकी ये बलिदानी व्यर्थ नहीं गयी और 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन को भारत छोड़कर वापस जाना पड़ा।
मात्र 23 वर्ष की आयु में देश के लिए अपना प्राण न्यौछावर करने वाले सरदार भगत सिंह खुद को सदा के लिए अमर कर गए। भगत सिंह के विचार इतने दृढ़ थे और वो देश सेवा को लेकर इतने संकल्पित थे कि अकेले दम पर उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को भी सदमे में डाल दिया था। उनके दृढ़ विचार आज भी युवाओं के भीतर जोश का संचार करने के लिये बहुत ही प्रभावी है।
ऐसा में आज हम भगत सिंह के विचार और उनके द्वारा कही गयी प्रेरणादायक बातें आप तक इस पोस्ट Bhagat Singh In Hindi के माध्यम से आप तक पहुँचा रहे हैं।
“इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज्बातों से, अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूं तो इंकलाब लिख जाता हूं।”
“राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है, मैं एक ऐसा पागल हूं, जो जेल में भी आजाद है।”
“जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।”
“मैं एक इंसान हूं और जो भी चीजें इंसानियत पर प्रभाव डालती है मुझे उनसे फर्क पड़ता है।”
“जो भी व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है,
उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी
उसमे अविश्वास करना होगा, तथा उसे चुनौती देनी होगी।”
“प्रेमी, पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं।”
“किसी भी इंसान को मारना आसान है,
परन्तु उसके विचारों को नहीं।
महान साम्राज्य टूट जाते हैं, तबाह हो जाते हैं,
जबकि उनके विचार बच जाते हैं।”
“देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं।”
“सिने पर जो ज़ख्म है, सब फूलों के गुच्छे हैं, हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं।”
“किसी को “क्रांति ” शब्द की व्याख्या शाब्दिक अर्थ में नहीं करनी चाहिए। जो लोग इस शब्द का उपयोग या दुरूपयोग करते हैं उनके फायदे के हिसाब से इसे अलग अलग अर्थ और अभिप्राय दिए जाते है।”
“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”
“मैं इस बात पर जोर देता हूँ कि मैं महत्त्वाकांक्षा,
आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूँ,
पर मैं ज़रुरत पड़ने पर ये सब त्याग सकता हूँ,
और वही सच्चा बलिदान है।”
“कानून की पवित्रता को तभी तक स्वीकार किया जा सकता है, जब तक कि ये लोगों की इच्छा का मान रखता हो।”
“यदि बहरों को सुनना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा।
जब हमने बम गिराया तो हमारा मकसद किसी को मारना नहीं था
हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था
अंग्रेजों को भारत छोड़ना चाहिए और उसे आज़ाद करना चहिये।”
“मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है।”
“इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के औचित्य को लेकर सुनिश्चित होता है, जैसाकि हम विधान सभा में बम फेंकने को लेकर थे।”
“मेरा जीवन एक महान लक्ष्य के प्रति समर्पित है – देश की आज़ादी। दुनिया की अन्य कोई आकषिर्त वस्तु मुझे लुभा नहीं सकती।”
Final Words:-
जिस उम्र में आम लोग अपने जीवन को जीना शुरू करते हैं, उसी छोटी सी उम्र में भगतसिंह ने भारत माता की चरणों मे खुद की जान न्यौछावर कर दी थी। 23 साल की छोटी सी उम्र में ही इस शहीद ने कैसे सिर्फ़ देशप्रेम में ख़ुद के जान की बाज़ी लगा दी, इसकी हम सिर्फ़ कल्पना ही कर सकते हैं। भगत सिंह जैसे सच्चे देशभक्त शायद ही अब इस भारत की धरती पर दोबरा जन्म ले सकते है।
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